23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 2900वें जन्म कल्याणक दिवस पर श्रद्धा प्रणति स्वरूप आयोजित विविध कार्यक्रम

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23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 2900वें जन्म कल्याणक दिवस पर श्रद्धा प्रणति स्वरूप आयोजित विविध कार्यक्रम

मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा 3 के सान्निध्य में भगवान पार्श्व जन्म कल्याणक दिवस समारोह श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, साउथ कोलकता द्वारा तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर अच्छी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा - तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्व अतीन्द्रिय चेतना के धनी थे। वे साहसी, अभय व पराक्रमशील थे। उन्होंने गृहस्थ अवस्था में ही अज्ञान व अन्धविश्वास की कलई खोल दी थी। वे युवावस्था में दीक्षित हुए और साधना कर तीर्थकर बनें। उन्होंने चातुर्याम धर्म का प्रवर्तन किया। उनके धर्म का प्रकाश देश और विदेश में दूर तक फैला। धरणेंद्र और पद्‌मावती देव-देवी उनके परम उपासक हैं। जैन धर्म में भगवान पार्श्वनाथ की पूजा संकट मोचन और विघ्न नाशन के लिए होती आई है। भगवान महावीर के शब्दो में वे पुरुषादानी अर्थात् वे पुरुषों में श्रेष्ठ थे ।
इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा - तीर्थंकर पार्श्व अप्रतिम चेतना के धनी थे। उनकी चेतना से निकले प्रकाश ने इस भूमंडल को प्रकाशित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। पार्श्व स्तुति गीत का संगान करते हुए कार्यक्रम का संचालन मुनि कुणाल कुमार जी ने किया। इस अवसर पर साउथ कोलकाता सभा के अध्यक्ष विनोद चोरड़ि‌या ने स्वागत व आभार मंत्री कमल किशोर कोचर ने किया। अनेक भाई बहिनों ने तपस्या के प्रत्याख्यान किये। कार्यक्रम के प्रारंभ में भगवान पार्श्व का जप अनुष्ठान भी मुनिवृंद द्वारा करवाया गया। तेरह घंटे भगवान पार्श्व का जप आयोजित हुआ, जिसमें अनेक भाई बहिनों ने उत्साह के साथ जप किया।