हंसता खिलता शासन उपवन
हंसता खिलता शासन उपवन, हमको प्राणों से प्यारा है।
अद्भुत आकर्षक दर्शनीय दुनियां में सबसे न्यारा है।।
1. तेरापंथ गण उर्वर धरती, यहां अनुशासन के फूल खिले,
गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु गुरु शंकर स्वर का पवन चले।
मर्यादा सुरतरू की छाया, साधक का सबल सहारा है।।
2. सीमा में बहता सलिल सदा, निर्मल उपयोगी कहलाता,
मर्यादा में रहने वाला सागर सबके मन को भाता।
नभ सीमा में दीपित दिनकर, बनता जग का उजियारा है।।
3. संरक्षक पोषक संघ सदन, सारी ऋतुओं में सुखकारी,
मां-पिता तुल्य आश्वस्त बनाता विघ्न हरण मंगलकारी।
गणनायक तुलसी महाप्रज्ञ ने बदली युग की धारा है।।
4. है अतुलबली दृढ संकल्पी, गुरू महाश्रमण नेमानन्दन,
नत मस्तक जिनके चरणों में श्रद्धा परि-पूरित है जन-जन।
मर्यादोत्सव की महनीय छटा भुज शहर बना मनहारा है।।
तर्ज - है प्रीत जहां