आध्यात्मिक जप अनुष्ठान का आयोजन

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आध्यात्मिक जप अनुष्ठान का आयोजन

साध्वी संयमलताजी के सान्निध्य में रवि मूल नक्षत्र में आगम गाथा का आध्यात्मिक अनुष्ठान तेरापंथ भवन चिकमगलूरु में आयोजित हुआ। नमस्कार महामंत्र के साथ अनुष्ठान का प्रारंभ हुआ। साध्वी संयमलता जी ने कहा - आत्मशुद्धि का एक आयाम है जप अनुष्ठान। हम आत्मा को सुरक्षित एवं निर्मल बनाने हेतु निरंतर मंत्रों की साधना करते रहें। मंत्रों की साधना आत्मकल्याण के लिए करनी चाहिए, किसी दूसरे व्यक्ति का अहित करने के लिए नहीं। साध्वी मार्दवश्रीजी ने अनुष्ठान करवाते हुए स्वर विज्ञान के बारे में जानकारी देते हुए कहा यह मानसिक एकाग्रता व सौम्यता का प्रतीक है। स्वर तीन प्रकार के होते हैं - चंद्र स्वर, सूर्य स्वर और सुषुम्ना। जप अनुष्ठान का प्रारंभ चंद्र स्वर के साथ करने से शीघ्र सफलता मिलती है। अर्हम की ध्वनि का पिरामिड बना, रक्षाकवच का निर्माण किया गया जो बाह्य व आंतरिक व्यवधान रोकने वाला है। आचार्य भिक्षु व जयाचार्य द्वारा सिद्ध मंत्र एवं आगम गाथा का लयबद्ध एवं प्राण ऊर्जा के साथ संगान किया गया। साध्वीश्री ने जप के एक-एक अक्षर का महत्व, उपयोग विधि का विवेचन किया। श्रावक-श्राविकाओं ने केसरिया व सफेद परिधान में सज्जित होकर स्वस्तिक व सिद्धालय की आकृति में जप अनुष्ठान किया। अनुष्ठान में चिकमगलूरु व मंड्या कन्या मंडल की अच्छी उपस्थिति रही। तेरापंथ युवक परिषद के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रसन्न डोसी, यश डोसी एवं मंत्री राकेश कावड़िया का सहयोग रहा।