
शक्तिसंपन्न, प्राणवान और प्रगतिशील धार्मिक संगठन है तेरापंथ
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की प्रबुद्ध सुशिष्या 'शासनगौरव' साध्वी कनकश्रीजी, 'शासनश्री' साध्वी विनयश्रीजी, साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ धर्मसंघ का 161वां मर्यादा महोत्सव तेरापंथ सभा, जयपुर के तत्वावधान में गरिमापूर्ण वातावरण में आयोजित हुआ। महामंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। तेरापंथ महिला मंडल, जयपुर शहर एवं कन्या मंडल ने मधुर गीतों के माध्यम से संयमित एवं अनुशासित संघ के गौरव की कलात्मक प्रस्तुति दी। सी-स्कीम महिला मंडल ने मर्यादा महोत्सव के विभिन्न पक्षों को सुंदर रूप में प्रस्तुत किया। 'शासनगौरव' बहुश्रुत साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि तेरापंथ जैन समाज का एक छोटा किंतु शक्तिसंपन्न, प्राणवान और प्रगतिशील धार्मिक संगठन है। आचार्य परंपरा ने संघ के प्रत्येक सदस्य को आत्मानुशासन, आत्मनियंत्रण और आत्मसंयम का बोध कराया है।
साध्वीश्री ने कहा कि मर्यादा और अनुशासन अवरोधक नहीं होते, बल्कि वे दुर्घटनाओं से बचाने वाले और सुरक्षा प्रदान करने वाले होते हैं। आचार्य संघ की बहुमुखी प्रगति के लिए नित नए आयाम उद्घाटित करते हैं तथा प्रत्येक सदस्य की स्वस्थता, शिक्षा और समाधि के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हैं। साध्वी अणिमाश्रीजी ने मर्यादा को विकास का पायदान बताते हुए कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ एक आचार्य केंद्रित संघ है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें ऐसा धर्मसंघ प्राप्त हुआ, जिसमें आज्ञा, मर्यादा और अनुशासन को प्राणों से भी अधिक महत्व दिया जाता है। जो व्यक्ति मर्यादित और अनुशासित रहता है, उसके विकास को कोई रोक नहीं सकता। वर्तमान युग की पारिवारिक परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक परिवार में कुछ नियम अवश्य होने चाहिए, जिससे जैन धर्म के संस्कार जागृत रह सकें और आने वाली पीढ़ी गलत आदतों से दूर रहे।
साध्वीवृंद ने श्रद्धा, विनय और समर्पण से ओतप्रोत गीतिका का संगान किया। साध्वी जगत्वत्सला जी एवं साध्वी कर्णिकाश्री जी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। साध्वी समितिप्रभाजी ने कविता के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति दी। तेरापंथी सभा, जयपुर के अध्यक्ष शांतिलाल गोलछा एवं अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष सरिता डागा ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वीवृंद द्वारा सामूहिक लेख पत्र का उच्चारण किया गया। सुरेंद्र सेठिया ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का सफल संयोजन साध्वी सुधाप्रभाजी ने किया।