डगमगाती नौका को पार लगाने वाली पतवार है मर्यादा

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डगमगाती नौका को पार लगाने वाली पतवार है मर्यादा

साध्वी पावनप्रभाजी के सान्निध्य में मैसूर के तेरापंथ सभा भवन में 161 वाँ मर्यादा महोत्सव बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ से पूर्व आचार्य तुलसी डायग्नोस्टिक सेंटर से सभा भवन तक रैली निकाली गई। कार्यक्रम में मैसूर एवं लगभग 13 क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का मंगलाचरण तेरापंथ कन्या मंडल, मैसूर द्वारा भिक्षु अष्टकम् के साथ किया गया। सभाध्यक्ष प्रकाश दक रॉयल द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर साध्वी पावनप्रभाजी ने कहा - मर्यादा वह मशाल है जो जीवन को जगमगा देती है, मर्यादा वह पतवार है जो डगमगाती नौका को पार लगा देती है। मर्यादा दुर्गुणों के लिए स्पीड ब्रेकर है तो सद्गुणों के लिए वनवे है। जहां मर्यादा है वहाँ विकास और विश्वास है। किसी भी धर्म संघ का आधार संख्या नहीं, सुदृढ़ आचार व मर्यादा है। आचार्य भिक्षु ने अपने धर्म संघ में क्वांटिटी को नहीं, क्वालिटी को महत्व दिया। इसीलिए दीक्षा देते समय दीक्षार्थी को वैराग्य की कसौटी पर कसा। आचार्य भिक्षु ने आज्ञा, अनुशासन, मर्यादा, संगठन व्यवस्था का सूत्रपात कर संघ को महान बना दिया। साध्वी आत्मयशाजी और साध्वी उन्नतयशा जी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति वक्तव्य के माध्यम से दी। मैसुरु महिला मंडल, तेयुप, टीपीएफ एवं पेरियापटना, चित्रदुर्गा, हिरीयूर, मंड्या आदि क्षेत्रों से पधारे पदाधिकारीगण ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। बच्चों ने आचार्य श्री भिक्षु एवं उनकी मर्यादा पर आधारित प्रस्तुति दी। संचालन साध्वी रम्यप्रभा जी ने किया।