होली पर्व पर विविध आध्यात्मिक कार्यक्रम

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गुडवान्चेरी

होली पर्व पर विविध आध्यात्मिक कार्यक्रम

मुनि दीपकुमारजी के सान्निध्य में श्री जैन स्थानक, गुडवान्चेरी में होली चातुर्मास के अवसर पर 'होली के रंग, अध्यात्म के संग' विषयक कार्यक्रम श्री एस. एस. जैन संघ गुडवान्चेरी द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें गुडवान्चेरी एवं अन्य क्षेत्रों के श्रावक-श्राविकाएं भी उपस्थित थे। मुनि दीपकुमारजी ने कहा कि होली लौकिक उत्सवों में प्रमुख उत्सव है। वर्ष भर के तनाव को भूलने या मिटाने का यह सबसे अच्छा दिन है। होली रंगों का त्यौहार है। मनुष्य रंगों का समवाय है। स्थूल दृष्टि से वह हाड- मांस का पुतला है, किंतु सूक्ष्म दृष्टि से देखे तो मनुष्य रंगों की ही प्रतिकृति और उपज है। आभामंडल जो सर्वाधिक शक्तिशाली होता है, वह भी रंगों की अनुकृति है। होली के रंगों को हम अध्यात्म के रंग में रंग दे। मुनिश्री ने आगे कहा कि जैन धर्म के अनुसार चातुर्मासिक पक्खी का संबंध इसके साथ जुड़ा हुआ है। बीती बातों को भूलना सीखे। होली शब्द भी यही संदेश देता है होली यानी जो हो गया उसे भूल जाओ। होली का अंग्रेजी के अनुसार अर्थ होता है पवित्रता। इस पर्व से हम पवित्रता की शिक्षा ग्रहण करें। लोग होली जलाते हैं पर, वास्तव में कषायों की, बुराइयों की होली जलाएं। मुनिश्री ने जैन धर्म में प्रचलित होली की कथा सुनाई एवं हाजरी का वाचन किया। नमस्कार महामंत्र के साथ रंगों का ध्यान करवाया। मुनि काव्यकुमारजी ने कहा कि होली पर्व आनंद का संदेश देता है, इस अवसर पर वैर-विरोध की गांठों को खोलकर क्षमा को विकसित करें। कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मंडल पल्लावरम ने गीत का संगान किया। तेरापंथी सभा पल्लावरम के सभा अध्यक्ष दिलीप भंसाली ने अपने विचार व्यक्त किये। आभार ज्ञापन पल्लावरम सभा मंत्री राकेश रांका ने किया। कुशल संचालन मुनि काव्यकुमारजी ने किया।