तुम को हम आज बधाएं

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डॉ. समणी ज्योतिप्रज्ञा

तुम को हम आज बधाएं

हे महातपस्वी गुरुवर, तुम को हम आज बधाएं।
तुम हो इस जग में अनुपम, फिर भी देते उपमाएं।।
तुम सूरज सम तेजस्वी, नभ चंदा जैसे शीतल,
तुम सागर जैसे गहरे और गंगा जैसे निर्मल।
दीपक सम जलकर पल-पल, जीवन में ज्योत जलाएं।।
सुमनों सम सुरभि फैलाते, तुम जल ज्यों जीवन दायी,
तुम अग्नि सम हो प्रकाशी, वायु जैसे वरदायी।
तुम कल्पवृक्ष सम करते, सबकी पूरण आशाएं।।
तरु ज्यों देते मीठे फल, तुम माली ज्यों रखवारे,
तुम गगन समान सुविस्तृत, तुमसे है गण में बहारें।
तुम सोने से भी महंगे, सारथी बन पथ दिखलाए।।
क्षमाशील धरती सम हो, शंख समान समुज्जवल,
बन सुदृढ़ नींव महल की, भरते शिष्यों में संबल।
तव पदाभिषेक, जन्मोत्सव, दीक्षोत्सव मंगल गाएं।।
लय - ए मेरे वतन के लोगों