जीवन धन्य बनाया

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साध्वी राकेशकुमारी

जीवन धन्य बनाया

जीवन धन्य बनाया।
अनशन करके संचितयशाजी गण पर कलश चढ़ाया।।
चण्डालिया कुल में जन्मे तुम सरदारशहर धरा पर,
तुलसी कर कमलों दीक्षा समता प्रखर धैर्यधर।
निरतिचार संयम को पाला, विकास किया सवाया।।
सोमलताजी शासनश्री को चित्त समाधि पहुंचाई,
सहयोगी बन करके तुमने जीवन सौरभ महकाई।
साध्वी शकुन्तला साथ में जीवन सफल बनाया।।
विलेपारले गोयल निवास में अंतिम सांसें छोड़ी,
असात वेदनीय उदय काल में आत्मा से प्रीति जोड़ी।
गण गणपति के प्रति समर्पित स्वर्णिम अवसर आया।।
साताकारी श्रावक समाज है कैलाश भवन सुखदाई,
जीवन की विशिष्ट उपलब्धि संथारा वरदाई।
संचितयशा की जय-जय बोलो मंजिल पथ अपनाया।।
लय - संयममय जीवन हो