महिमा सतिवर री

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साध्वी उज्ज्वलरेखा, साध्वी अमृतप्रभा

महिमा सतिवर री

महिमा सतिवर री-3,
साध्वी संचित(यशा) हिम्मत धारी,
जीवन नैया पार उतारी,
जावां बार-बार बलिहारी।।
1. अनशन रो थे दीप जलायो,
चण्डालिया कुल रो नाम दीपायो,
सरदारशहर रो गौरव बढ़ायो।।
2. असात वेदनी जब उदियाई,
समता रस में खूब नहाई,
देख-देख सब इचरज पाई।।
3. तन री मन री ममता मारी,
अन्तिम बाजी जीती भारी,
ऋजुता मृदुता री फुलवारी।।
4. आत्मा री थे जोत जलाई,
जागी अन्तर री पुण्याई,
गरिमा गण री शिखर चढ़ाई।।
5. छोटी बहिनां अमृत री मन भाई,
नन्दनवन री आब बढ़ाई,
अन्तिम जसझण्डी फहराई।।
6. थांस्यूं अन्तर ऊर्जा पावां,
श्रद्धा रा म्हें फूल चढ़ावां,
उज्ज्वल अमृत मिलकर गावां।।
7. साध्वी शकुंतला रो साज सवायो,
हिम्मत स्यूं अनशन पचखायो,
अरिहंत सिद्धां रो शरण सुणायो।।
लय - धरती धोरां री