पग-पग जय-जयकार

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साध्वी मनीषाप्रभा

पग-पग जय-जयकार

हे सति शेखरे शरण शुभंकर श्रेयस्कर सुखकार।
तेजस्वी आभामंडल का करते पग पग जय जयकार।।
अक्षयसुख की महानिर्झरणी बन मेटो जन-जन की प्यास,
तेरी संयम की सौरभ से निखरा एक अक्षय विश्वास।
युगप्रधान महाश्रमण का मिला तुम्हें दिव्यतम प्रकाश,
अ. सि. आ. उ. सा आराधिका बजा रही मधुरिम झंकार।।
पवित्र आभामंडल की राश्मियों से आत्मा बन जाती पावन,
तेरा चयन दिवस मनभावन बरस रहा रिमझिम सावन।
वर्धापन की शुभ बेला में बन जाए हम वर्धमान,
हर पल हर घड़ी तुमसे जुड़ता रहे मंगलमय संसार।।
संयम के उच्च शिखरों से बढे चलो प्रभु से यही फरियाद,
चंदेरी की चन्द्रकान्त मणि के पारखी को लखदाद।
असुर सुर गरुल भुयंग देव बजा रहे श्वेत शंखनाद,
ऐसा शक्तिपात कर दो, खिल जाए भाग्य मंदार ।।