सुखी बनने के लिए सुकुमारता और कामना को छोड़ें : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

इडर। 23 मई, 2025

सुखी बनने के लिए सुकुमारता और कामना को छोड़ें : आचार्यश्री महाश्रमण

अध्यात्म के मंगल प्रवचनकार आचार्यश्री महाश्रमणजी ने इडर के अंजना पाटीदार एच.के.एम. कला एवं पी.एन. पटेल कॉमर्स कॉलेज प्रांगण में अध्यात्म की अमृत धारा बरसाते हुए फरमाया कि आदमी सुखी रहना चाहता है। दूसरे प्राणी भी सुखी रहना चाहते हैं, पर कभी सुखी रहने वाले भी दुःखी देखे जा सकते हैं। वे कौन-से उपाय हैं, जिनको काम में लेकर आदमी सुखी रह सकता है? उपाय के संदर्भ में एक बात है — अपने आप को तपाना, सुकुमारता को छोड़ देना। जो तपस्वी होता है, कठोरता को झेल सकता है — वह सुखी रह सकता है। जो आदमी भौतिक सुख-सुविधाओं की मनोवृत्ति रखता है, वह दुःखी बन सकता है। कठोरता को सहन करने वाला सुखी हो सकता है।
सेवा करने वाला कार्यकर्त्ता जगह-जगह जाता है, कहीं पलंग मिलता है तो कहीं नहीं भी मिलता है। साधु तो ज़मीन पर ही लेटता है। साधु तो राजा-मुनिराज होता है। यह धरती बहुत सुंदर शय्या है, इसकी कोई सीमा नहीं होती। पलंग की तो स्थान की सीमा होती है। साधु के लिए तो भुजा ही तकिया है। चाँदनी रात में चाँद ही दीया होता है। साधु मन का राजा-महाराजा हो सकता है। सुखी बनने का दूसरा उपाय है — काम-भोग व विषयों में आसक्ति मत रखो। द्वेष, ईर्ष्या मत करो — दुःख अपने आप अतिक्रांत हो जाएगा। दूसरों को सुखी देखकर दुःखी नहीं होना चाहिए और दूसरों को दुःखी देखकर सुखी नहीं बनना चाहिए। साधु तो निर्मोही होते हैं। समता-भाव में रहने वाला सुखी बन सकता है। तपस्वी बनकर कठोरता को अपनाओ, कामनाओं को अतिक्रांत करो — तो सुखी बन सकोगे।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति अध्यात्म प्रधान संस्कृति रही है, जिसने ऋषि-महर्षियों का सम्मान बढ़ाया है। तेरापंथ के आचार्यों के पास अनेक लोग आते रहते हैं। आचार्यश्री से शक्ति और ज्ञान का प्रकाश प्राप्त होता है। जो व्यक्ति चरित्रसम्पन्न होता है, वह ऊर्जा और प्रकाश को प्राप्त कर सकता है। आचार्यवर लोगों को अच्छा, चरित्रवान बनने की प्रेरणा देते हैं। चरित्र हमारे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। पूज्यवर के स्वागत में लक्ष्मीलाल झाबक, भाविक व प्रक्षाल खिंवेसरा, सीनियर सिटीजन प्रमुख सुथारभाई, कॉलेज से अश्विनभाई पटेल, यूनिक इंटरनेशनल स्कूल से मुकेशभाई पटेल, योगेशभाई पटेल आदि ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों ने पच्चीस बोल पर सुंदर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।