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गुरुदेव की दीक्षा मानो सिद्धि का प्रवेशद्वार है
साध्वी कुन्दनरेखाजी के सान्निध्य में एवं तेरापंथ सभा दक्षिण दिल्ली के तत्वावधान में अणुवत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी का 64वां जन्म दिवस, 52वां दीक्षा दिवस एवं 16 वां पदाभिषेक दिवस हर्षोल्लास के साथ कैलाश कॉलोनी में मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखाजी ने कहा - आचार्य प्रवर का जन्मदिन मात्र किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, सकारात्मक विचारों का जन्मदिन है। गुरुदेव की दीक्षा मानों सिद्धि का प्रवेशद्वार है, जिसके तहत् अशुभ से निवृत्त और शुभ में प्रवृत्त होना है। मात्र बारह वर्ष की आयु में बालक मोहन ने अपनी आध्यात्मिक शक्तियों को उजागर करने हेतु सांसारिक कार्यों का परित्याग कर अन्तर्चेतना के निखार हेतु मंगलमय यात्रा का शुभारंभ किया जो मानवमन की शुद्धि का पहला कदम था। साध्वी श्री ने आगे कहा कि आचार्यश्री द्वारा आत्मदर्शन को व्याख्यायित ही नहीं किया जा रहा अपितु जीया जा रहा है। साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा चांद सी शीतलता, सूर्य सी तेजस्विता, सागर सी गंभीरता और पापभीरूता लिए आचार्य श्री अपनी निर्लिप्तता, अनासक्त चेतना से अध्यात्म के शिखर पुरुष बन दुनिया में छा गये हैं। इस अवसर पर साध्वी सौभाग्ययशा जी ने एक सुमधुर गीत का संगान भी किया।
मुख्य वक्ता कल्याण परिषद् के संयोजक के. सी. जैन ने कहा- आचार्य श्री महाश्रमण का व्यक्तित्व प्रभावक है, नेतृत्व विलक्षण है, कर्तृत्व तेजस्वी है और वक्तव्य शैली बेजोड़ है। युगद्रष्टा आचार्य प्रवर की एक विशेषता यह है कि वे सुनते बहुत हैं पर बोलते उतना ही हैं जितनी जरूरत होती है। आपकी मुस्कान ही सारे प्रश्नों का हल है। मुख्य अतिथि निगम पार्षद राजपाल सिंह ने कहा यह भारत का सौभाग्य है कि आचार्य महाश्रमण जैसे सिद्ध गुरु का आशीर्वाद प्राप्त है। आपका शासन-अनुशासन हम सभी में नई ऊर्जा, प्राणों का संचार कर जीवंतता प्रदान कर रहा है। दक्षिण दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुशील पटावरी ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत कर आचार्य प्रवर की अभ्यर्थना की। दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने भो अपने विचार रखे। पूर्व अध्यक्ष गोविंद बाफना, तेरापंथ महिला मण्डल साउथ दिल्ली की अध्यक्षा शिल्पा वैद, दक्षिण दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष हीरालाल गेलड़ा एवं तेरापंथ महिला मण्डल की बहनों ने अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का मंगलाचरण एवं कुशल संचालन साध्वी कल्याणयशा जी ने किया।