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अक्षय तृतीया पर श्रद्धासिक्त कार्यक्रम
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया एवं वर्षीतप पारणा समारोह का आयोजन महाश्रमण विहार, न्यू टाउन, राजारहाट में संपन्न हुआ। यह आयोजन आचार्य महाप्रज्ञ महाश्रमण एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन (आमरेफ) एवं श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, साल्टलेक के संयुक्त तत्वावधान में हुआ, जिसमें 20 वर्षीतप आराधिका बहनें सहभागी बनीं। समारोह की शुरुआत तेरापंथ महिला मंडल पूर्वांचल की बहनों द्वारा मंगलाचरण से हुई। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने अक्षय तृतीया का आध्यात्मिक महत्व बताते हुए भगवान ऋषभदेव के तप व उनके द्वारा प्रारंभ की गई सभ्यता यात्रा की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भगवान ऋषभ असि, मसि व कृषि के प्रवर्तक थे तथा कर्म-मुक्ति का मार्ग उन्होंने ही प्रशस्त किया। मुनिश्री ने बताया कि तेरह महीने दस दिन तक एक दिन उपवास व एक दिन आहार की विधि को वर्षीतप कहा जाता है। इस अवसर पर 20 बहनों ने वर्षीतप पूर्ण कर इक्षुरस द्वारा पारणा किया तथा कुछ बहनों ने आगामी वर्ष के लिए पुनः वर्षीतप का संकल्प लिया। कार्यक्रम में मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण आमरेफ अध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया व सभा अध्यक्ष जयसिंह डागा ने दिया। तुलसी दुगड़ ने अपने विचार रखे। तपस्वियों के परिवारजनों ने भावपूर्ण अनुमोदना प्रस्तुत की। संचालन मुनि परमानंद जी व सुरेन्द्र बोरड द्वारा किया गया। आभार ज्ञापन सुरेन्द्र बोरड (आमरेफ) व अशोक भूतोड़िया (साल्टलेक सभा) ने किया।