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प्रखर प्रतापी नेतृत्व धर्मसंघ को नई ऊंचाईयां देने वाला है
सांडवा। साध्वी संघप्रभा जी के सान्निध्य में आचार्य श्री महाश्रमण के 64वां जन्म दिवस एवं 16वें पदाभिषेक दिवस का भव्य कार्यक्रम का आयोजित किया गया। कार्यक्रम का मंगलाचरण साध्वी प्रांशुप्रभा जी ने महाश्रमण अष्टकम् से किया। साध्वी संघप्रभा जी ने अपने आराध्य की अभ्यर्थना करते हुए अपने उद्बोधन में कहा - आचार्य महाश्रमण का जन्म साक्षात् एक देव पुरुष का अवतरण है, जिनकी मुखमुद्रा की मुस्कान जहॉं लाखों लोगों की समस्याओं का सटीक समाधान है वहीं एकादशमाधिनायक के रूप में उनका प्रखर प्रतापी नेतृत्व तेरापंथ धर्म संघ को नई ऊंचाईयां देने वाला है। उनका प्रबंधन कौशल, समय, स्वास्थ्य, श्रम व शक्ति का नियोजन तथा वाणी का सम्यक संयोजन हर व्यक्ति के लिए प्रशिक्षण का अपूर्व आयाम है। इसी श्रृंखला में साध्वी सोमश्रीजी ने आचार्य श्री महाश्रमण को विविध उपमाओं से उपमित करते हुए उनके उपकारों का वर्णन किया। कन्या मंडल संयोजिका जया भंसाली ने ‘वंदन है गुरुराज’ सुमधुर गीतिका से वातावरण को महाश्रमणमय बना दिया। तेरापंथ सभा की ओर से बजरंग भंसाली ने ‘महाश्रमण’ शब्द की रोचक तरीके से व्याख्या की। साध्वी प्रांशुप्रभा जी ने कविता प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। कार्यक्रम में श्रावक-श्राविकाओं की सराहनीय उपस्थित रही।