
संस्थाएं
आचार्य महाश्रमण की सन्निधि में होता है अकल्पित शांति का अनुभव
कानपुर। साध्वी स्वर्णरेखा जी के सान्निध्य में आचार्य श्री महाश्रमण का 52वां दीक्षा दिवस ‘युवा दिवस’ के रूप में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री के महामंत्रोच्चार से हुआ। महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण की प्रस्तुति दी। तेरापंथ युवक परिषद् तथा तेरापंथी सभा द्वारा संयुक्त रूप से गीतिका का संगान किया गया। साध्वी स्वर्णरेखा जी ने कहा कि, “आचार्य महाश्रमण एक ऐसे वट वृक्ष का नाम है जिसकी सघन शीतल छाया में बालक, युवक, वृद्ध सभी अकल्पित शांति का अनुभव करते हैं।
आज सभी का जीवन निराशा, अवसाद, कुंठा, तनाव आदि से ग्रसित है। ऐसे में आचार्य प्रवर ऐसी शीतल छावं प्रदान करते हैं जिससे आगत व्यक्ति चाहे किसी भी समस्या से ग्रस्त हो, वह तृप्ति का, आनंद का रसपान करता है। “साध्वी स्वास्तिकाश्री जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि, “आज आचार्य महाश्रमण जैसे महामानव को चतुर्विध धर्म संघ वर्धापित कर रहा है और सभी यही मंगल कामना कर रहे हैं कि आपके मंगल अनुशासन में तेरापंथ धर्म संघ नूतन ऐतिहासिक इतिहास का सृजन करता रहे।“
सभा अध्यक्ष प्रवीण सुराणा एवं मंत्री आलोक पुगलिया ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा प्रस्तुत नाटक, जिसमें बच्चों ने विभिन्न धर्म गुरुओं की भूमिकाओं के माध्यम से गुरु के गुणों की विस्तार पूर्वक व्याख्या की। ज्ञानशाला के बच्चों ने आचार्य महाश्रमण के दीक्षा दिवस के घटनाक्रम को भी जीवंत किया। महिला मंडल द्वारा अष्ट मंगल की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के पूर्व मंत्री संदीप जम्मड ने किया।