दिव्यविभूति हैं आचार्यश्री महाश्रमण

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दिव्यविभूति हैं आचार्यश्री महाश्रमण

जयपुर। 'शासनगौरव' बहुश्रुत साध्वी कनकश्रीजी के सान्निध्य में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का जन्मोत्सव एवं पट्टोत्सव का कार्यक्रम अत्यंत उत्साहपूर्वक श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया गया। नमस्कार महामंत्र तथा "ऊँ ह्रीं क्लीं श्री महाश्रमण गुरवे नमः" के सामूहिक मंत्रोच्चारण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। राहुल छाजेड़ ने महाश्रमण अष्टकम् का संगान किया। भिक्षु साधना केन्द्र, श्यामनगर, जयपुर में आयोजित गरिमामय कार्यक्रम में 'शासनगौरव' साध्वीश्री ने गुरुदेव की अभिवंदना करते हुए कहा, “आचार्य महाश्रमणजी एक दिव्यविभूति हैं। उनका जीवन प्रबल पुरुषार्थ की गौरवगाथा है। वह देश और काल धन्य होते हैं
जहाँ आचार्य श्री महाश्रमण जैसी आध्यात्मिक विभूतियों का अवतरण और विहरण होता है। आचार्य श्री महाश्रमण मानवीय संवेदना के संवाहक हैं, करुणा के निर्मल निर्झर हैं। उनकी ज्ञानसंपदा विलक्षण है।” आचार्यप्रवर के प्रेरक प्रसंगों को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा, “महानता उसी के द्वार पर दस्तक देती है, जो अपना जीवन महान लक्ष्य के लिए समर्पित कर देता है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें आचार्यप्रवर महाश्रमण जैसे गुरु मिले, जो हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं।” साध्वी मधुलता जी ने आचार्यश्री महाश्रमणजी के बचपन की घटनाओं के माध्यम से उनके विकास की यात्रा के अनछुए प्रसंग प्रस्तुत किए। साध्वी समितिप्रभा जी, साध्वी संस्कृतिप्रज्ञा जी ने दीक्षागुरु के प्रति श्रद्धापूरित भावों की अभिव्यक्ति दी। साध्वीवृंद ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किए।
तेरापंथी सभा के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में तेरापंथी सभा जयपुर के अध्यक्ष शांतिलाल गोलछा, तेरापंथ युवक परिषद जयपुर के मंत्री अभिषेक भंसाली, तेरापंथ महिला मंडल सी-स्कीम जयपुर से सुशीला नखत, गायक संदीप भंडारी, पवन जैन ने अपने विचार व्यक्त किए। द्विदिवसीय कार्यक्रम का कुशल संचालन क्रमशः साध्वी मधुलता जी एवं सुशीला नखत ने किया।