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पुरुषार्थ-पराक्रम के पुरोधा हैं आचार्यश्री महाश्रमण
वापी। प्रोफेसर साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में वापी शहर में आचार्यश्री महाश्रमण जी का 64वां जन्मदिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उपस्थित विशाल परिषद को संबोधित करते हुए साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने कहा, "आचार्यश्री महाश्रमण जी संत परंपरा के ख्यातनाम, विशिष्ट संत हैं। उनके मानवीय, प्रेमयुक्त व्यक्तित्व को शब्दों से व्याख्यायित नहीं किया जा सकता। पुरुषार्थ और पराक्रमयुक्त उनकी जीवनशैली से हर समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। वे किसी समुदाय विशेष के नहीं, अपितु मानवमात्र के भीतर शक्ति और प्रकाश संप्रेषित करने वाले आचार्य हैं। हजारों-हजारों किलोमीटर की यात्रा कर उन्होंने सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति और अहिंसा का शंखनाद किया है। उनके जीवन की गौरवगाथा, श्रम की अकथ कहानी है। लाखों भक्तों और शरणागतों के दुःख को दूर करने हेतु उनके दिल से करुणा और अनुकम्पा की धारा निरंतर बह रही है। उनका जीवन शारीरिक और मानसिक श्रम की शाश्वत प्रेरणा है। आशीर्वाद की मुद्रा में उठे उनके दोनों हाथ हर दर्शनार्थी के लिए आस्था और विश्वास का केन्द्र हैं।"
साध्वीश्री ने आगे कहा, "आज पीयूष कच्छारा के गृह प्रांगण में प्रथम बार युगप्रधान आचार्य महाश्रमण जन्मोत्सव का यह ऐतिहासिक कार्यक्रम भव्यता के साथ आयोजित हुआ। अनेक धर्मसंप्रदाय के प्रतिनिधियों ने श्रद्धास्वर प्रस्तुत किए। यह आचार्यश्री महाश्रमण जी के विराट व्यक्तित्व का प्रभाव है। आज सम्पूर्ण मानव जाति के भाग्योदय का दिन है। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी वृंद के मंगल संगान से हुई। साध्वी सुदर्शनप्रभा जी, साध्वी राजुलप्रभा जी, साध्वी अतुलयशा जी और साध्वी राजुलप्रभा जी ने अपने वक्तव्यों और कविताओं के माध्यम से आराध्य की अभिवंदना की। साध्वी वृंद ने सामूहिक संगान से पूरे वातावरण को महाश्रमणमय बना दिया।
इस अवसर पर स्वामीनारायण संप्रदाय के संत माधवस्वामी और विधनन स्वामी, बोहरा समाज की ओर से मंसूर भाई मर्चेन्ट और मुस्तका दाउदी मर्चेन्ट ने आचार्यश्री के प्रति अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। मुस्कान बोथरा ने सुमधुर गीत का संगान किया। राजस्थान सेवा मंडल अध्यक्ष रमेश मेहता, जैन विश्व भारती ट्रस्टी राजेश दुगड़, तेरापंथ सभा वापी के मंत्री विमल झाबक, जैन संस्थान, जैन एकता मंच अध्यक्ष चौथमल सिंघवी, विश्व हिंदू परिषद वलसाड जिला के अध्यक्ष अभय नाहर ने भी आचार्यश्री के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की। तेरापंथ महिला मंडल ने सामूहिक संगान के माध्यम से 'ज्योतिचरण वर्धापन' प्रस्तुत किया। श्रेयांस कच्छारा ने साध्वीश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए स्वागत स्वर प्रस्तुत किए। समस्त आगंतुक अतिथिगण का कच्छारा परिवार की ओर से भावपूर्ण स्वागत किया गया। कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन डॉ. साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने किया।