उल्लेखनीय है आचार्य श्री महाश्रमण की अप्रमत्तता, श्रमशीलता एवं नेतृत्व क्षमता

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मानसरोवर गार्डन, दिल्ली।

उल्लेखनीय है आचार्य श्री महाश्रमण की अप्रमत्तता, श्रमशीलता एवं नेतृत्व क्षमता

मानसरोवर गार्डन, दिल्ली। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या ‘शासनश्री’ साध्वी सुव्रतांजी के सान्निध्य में आचार्यश्री के जन्मोत्सव, पट्टोत्सव, दीक्षा दिवस का कार्यक्रम प्रवीण, वरुण डूंगरवाल, मानसरोवर गार्डन के निवास स्थान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मानसरोवर गार्डन की बहनों ने मंगलाचरण से किया। आचार्य प्रवर की अभिवंदना में भावाभिव्यक्ति देते हुए ‘शासनश्री’ साध्वी सुव्रतांजी ने कहा - आसमान के सितारों को, रेगिस्तान के बालू कणों को एवं सावन की बरसाती बूंदों को गिनना जितना मुश्किल है उससे भी अधिक मुश्किल है आचार्य प्रवर की विशेषताओं का आंकलन करना। साध्वी श्री ने कहा कि आचार्य प्रवर की अप्रमत्तता, श्रमशीलता एवं नेतृत्व क्षमता उल्लेखनीय है। आपके तेजोमय आभावलय, चमकते हुए नयन एवं आशीर्वाद मुद्रा में उठे हुए हाथों को देखकर हर व्यक्ति श्रद्धानत हो जाता है। साध्वी सुव्रतांजी, साध्वी सुमनप्रभाजी एवं साध्वी चिंतनप्रभाजी ने आचार्य श्री के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति देते हुए सुमधुर गीतिका से श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।इस अवसर पर टीपीएफ की अध्यक्षा कविता बरड़िया, पश्चिमी दिल्ली महिला मंडल की मंत्री मीना डूंगरवाल, अभातेयुप राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं दिल्ली तेयुप पूर्व अध्यक्ष विकास सुराणा, मानसरोवर गार्डन सभा के पूर्व अध्यक्ष एवं दिल्ली सभा साहित्य प्रभारी सुरेश कोठारी, दिल्ली सभा के मंत्री मनोज बोरड़ आदि सभी ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। सभा अध्यक्ष नरेन्द्र पारख ने भी वक्तव्य के साथ गीतिका का संगान किया। मानसरोवर गार्डन ज्ञानशाला मुख्य प्रशिक्षिका पूर्णिमा पारख, सह-मुख्य प्रशिक्षिका शैफाली मेहता ने भी अपने भावों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का सुन्दर संयोजन साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने किया। अंत में सभा के मंत्री अजय रांका ने आभार ज्ञापन किया।