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आचार्य महाश्रमण जीवन दर्शन प्रतियोगिता का आयोजन
आचार्य श्री महाश्रमण दीक्षा दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखा जी के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण जीवन दर्शन पर आधारित प्रश्न-मंच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 10 दंपत्ति समूहों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान निर्मला एवं निर्मल कोठारी ने प्राप्त किया। द्वितीय स्थान पर अशोक एवं सुमन जैन रहे। तृतीय स्थान संयुक्त रूप से दो समूहों—सुशील पटावरी एवं शारदा पटावरी, तथा अरविंद दुगड़ एवं रोमी दुगड़—को प्राप्त हुआ। सभी विजेताओं एवं प्रतिभागियों को मिलाप चंद गेलड़ा और राजेश गेलड़ा द्वारा सम्मानित किया गया। साध्वी कुन्दनरेखा जी ने अपने उद्बोधन में कहा, "पंचम काल में हमें चतुर्थ काल का अहसास होता है। तीर्थंकरों की अनुपस्थिति में भी तीर्थंकर तुल्य प्रकाश युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी में अनुभव होता है। 52वां दीक्षा दिवस संयममय जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
गुरुदेव का संयम अद्वितीय है, और यही वह शक्ति है जिसमें शाश्वत आनंद का रहस्य निहित है। दीक्षा त्याग के मार्ग पर अग्रसर होने का नाम है, यह अनासक्त चेतना के उत्थान का माध्यम है, तथा कषायों के उपशमन का पावन अवसर है। इस आयोजन में संजय चोरडिया ने क्रम निर्धारण का कार्य सुचारू रूप से संभाला। बच्चों ने प्रतियोगियों के समय का सटीक मूल्यांकन किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों की सहभागिता रही।