
संस्थाएं
चरित्र निर्माण शिविर का हुआ आयोजन
शहर के गांधीनगर स्थित तेरापंथ भवन में साध्वी पावनप्रभाजी एवं साध्वी पुण्ययशाजी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्वावधान में समण संस्कृति संकाय के अंतर्गत ज्ञानार्थियों का 4 दिवसीय चरित्र निर्माण शिविर का आयोजन हुआ, जिसमें 168 ज्ञानार्थी, शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं कार्यकर्ता संभागी बनें। साध्वी पावनप्रभाजी ने अपने उद्बोधन में शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि, 'बच्चे हमारे संघ की नींव हैं, मूल हैं। चरित्र निर्माण शिविर के माध्यम से हम जड़ में पानी सींचने के लिए आए हैं। बचपन में दिए गए संस्कार पुष्ट बनते हैं, पुष्पित, पल्लवित एवं प्रफ्फुलित होते हैं।' सफलता के सूत्र बतलाते हुए साध्वीश्री ने कहा कि, 'लिफ्ट का रास्ता अपनाने से बेहतर है सीढ़ियों का रास्ता अपनाएं। मेहनत से ही सफलता प्राप्त होगी, इंस्टेंट सफलता की आशा न रखें। साध्वीश्री ने जैन तेरापंथी होने की महत्ता समझाते हुए भावी पीढ़ी को सही दिशा में रुझान रखने की प्रेरणा दी।
साध्वी पुण्ययशाजी ने कहा कि, 'चरित्र निर्माण शिविर, शिविरार्थियों को नैतिक मूल्य, अनुशासन और कर्तव्य बोध देने की प्रेरणा का एक उपक्रम है।' शिविर की महत्ता को समझाते हुए साध्वीश्री ने अभिभावकों को आह्वान किया कि वे अपने बच्चों को ज्ञानशाला में अवश्य भेजें जिससे उनका चहुंमुखी विकास होता है। साध्वी श्री ने बच्चों के आध्यात्मिक विकास हेतु अनेक छोटे-छोटे गुर बताए।
इस अवसर पर पहले दिन साध्वी संयमलताजी की सहवर्ती साध्वी मार्दवश्रीजी एवं साध्वी मनीषाप्रभाजी भी शांतिनगर से विहार कर कार्यक्रम में पहुंचे। साध्वी मार्दवश्रीजी ने संस्कारों एवं संस्कृति की सुरक्षा हेतु शिविरों को उपयोगी बताया। शिविरार्थियों का दिन सुबह 5 बजे सामायिक से शुरू होता। वृहद मंगलपाठ, प्रवचन के पश्चात जिज्ञासा समाधान के क्रम में कई बच्चों को अपने प्रश्नों का उत्तर मिला। दोपहर में एक घंटा प्रशिक्षकों की क्लास रहती, जिसके बाद एक घंटा उम्र के अनुसार वर्ग कर 6 कक्षाएं साध्वियों ने ली। साध्वीश्री ने उम्र के हिसाब से बच्चों के लिए आवश्यक विषय पर चर्चा करते हुए चारों ही दिन अनेक महत्वपूर्ण बातें बतलाई।
चार दिवसीय शिविर में शिविरार्थियों को गोचरी कराने का भी अवसर मिला। शिविर में बच्चों को साध्वियों से वार्तालाप करना, वंदना करना, उचित शब्दों का उपयोग करना आदि जानने का मौका मिला। इन चार दिनों में अनेक तरह की रोचक प्रतियोगिताओं की प्रस्तुतियां दी गई। 'प्रतिक्रमण - कब, कैसे और क्यों', 'छः काय', 'भविष्य कैसा हो' विषयों पर नाटिका की प्रस्तुति दी गई। इसके अलावा बच्चों ने अंताक्षरी, भाषण, क्विज प्रतियोगिता जैसे अनेक आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। शिविर के अंतिम दिन लगभग 14 बच्चों ने शिविर के अनुभवों को साझा किया। तेरापंथ सभा, गांधीनगर बैंगलोर के अध्यक्ष पारसमल भंसाली, मंत्री विनोद छाजेड़ एवं सभा परिवार का पूर्ण सहयोग रहा। शिविर संयोजक जुगराज श्रीश्रीमाल और गौतम डोसी रहे। समण संस्कृति संकाय के केंद्रीय व्यस्थापक कमलेश पितलिया ने अपना पूरा समय शिविर के सुचारू प्रबंधन के लिए नियोजित किया। शिविर में विशेष श्रम हेमंत छाजेड़ का रहा। इस अवसर पर बच्चों के अभिभावकों सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।