त्रिदिवसीय ज्ञानशाला शिविर का हुआ भव्य आयोजन

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बीकानेर।

त्रिदिवसीय ज्ञानशाला शिविर का हुआ भव्य आयोजन

'शासनश्री' साध्वी मंजूप्रभा जी एवं 'शासनश्री' साध्वी कुंथुश्री जी के सान्निध्य में ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों हेतु त्रिदिवसीय शिविर का आयोजन किया गया। साध्वी कुंथुश्री जी ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि बच्चे देश की भावी पीढ़ी होते हैं। इनके समग्र विकास के लिए शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों का रोपण अत्यंत आवश्यक है। आचार्य श्री महाश्रमण जी भी ज्ञानशाला के सतत विकास हेतु सदैव चिंतनशील रहते हैं। ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों के चरित्र का निर्माण होता है। उन्होंने बच्चों को जीवन को श्रेष्ठ बनाने हेतु कई उपयोगी सुझाव भी दिए। साध्वी सुमंगलाश्री जी ने कहा, 'ज्ञानशाला, आचार्य श्री तुलसी की दूरदर्शिता का साकार रूप है। वर्तमान युग में जहां पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, ऐसे समय में तेरापंथ धर्मसंघ जैसा मार्गदर्शक और ज्ञानशाला जैसी संस्कारपरक संस्था मिलना हम सबके लिए गर्व का विषय है।'
साध्वी जयंतप्रभा जी ने कहा, 'अभिभावक अपने बच्चों को कार दें या न दें, परंतु संस्कारों की कार अवश्य दें। जो व्यक्ति अनुशासन में रहता है, वही जीवन में सफलता प्राप्त करता है।' साध्वी आलोकप्रभा जी एवं साध्वी सम्यक्त्वप्रभा जी ने ऐतिहासिक प्रसंगों और प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से जीवन विकास के सूत्रों को सरलता से प्रस्तुत किया। सभी ज्ञानार्थियों ने शिविर में अत्यंत उत्साह और सक्रियता के साथ भाग लिया। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने पूरे मनोयोग, समय और श्रम से इस शिविर को सफल बनाने में योगदान दिया। शिविर के अंतिम दिन छोटे-छोटे बच्चों ने अपने कंठस्थ ज्ञान की सुंदर प्रस्तुति दी। बालिकाओं ने भवन में उपस्थित होकर ‘भैया, मुँहपट्टी लगाना’ मधुर कव्वाली का सरस संगान प्रस्तुत किया।
सुंदरलाल झाबक और पारस छाजेड़ ने अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति से बच्चों का उत्साहवर्धन किया। दीक्षा बैंगानी ने बच्चों को पेपर से फूल बनाना सिखाया, जिससे उनकी रचनात्मकता को प्रोत्साहन मिला। शिविर की सफलता में ज्ञानशाला संयोजिका शांता भूरा, मुख्य प्रशिक्षिका नीतू रामपुरिया, कमला बैंगानी, अनुराधा बैंगानी, मोनिका बैद, सुचित्रा सोनावत, अलका नाहटा, चंद्रकला महात्मा, दीक्षा बैंगानी और सानवी गोलछा का विशेष योगदान रहा। समापन कार्यक्रम का कुशल संयोजन एवं आभार ज्ञापन मुख्य प्रशिक्षिका नीतू रामपुरिया ने किया।