
संस्थाएं
आध्यात्मिक मिलन का भव्य कार्यक्रम
जसोल। ओसवाल भवन में साध्वी अणिमाश्रीजी, साध्वी सम्पूर्णयशाजी एवं साध्वी मेघप्रभाजी का त्रिवेणी संगम स्वरूप आध्यात्मिक मंगल मिलन का भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। बालोतरा से समागत साध्वी सम्पूर्णयशाजी एवं साध्वी मेघप्रभाजी का स्वागत साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपनी सहवर्तिनी साध्वियों के साथ लगभग सवा किलोमीटर आगे जाकर भावपूर्ण रूप से किया। गीतों के माध्यम से दोनों ओर से प्रसन्नता का इज़हार हुआ। विनय और वात्सल्य के अद्भुत दृश्य को देखकर श्रावक समाज अभिभूत हो गया।
स्वागत समारोह में सभा को संबोधित करते हुए साध्वी अणिमाश्रीजी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ की मर्यादा और अनुशासन अद्वितीय है। एक गुरु के नेतृत्व के कारण तेरापंथ धर्मसंघ आज जिनशासन के नाम पर महासूर्य की तरह चमक रहा है। संघ में गुरु ही सबके प्राण, त्राण एवं सर्वस्व हैं। गुरु की दृष्टि की अखंड आराधना करने वाला शिष्य सफलता के शिखर पर आरोहण करता है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें आत्मनिष्ठ, आगमनिष्ठ और आचरणनिष्ठ आचार्यश्री महाश्रमणजी का नेतृत्व प्राप्त हो रहा है। उनके सिंचन से संघ रूपी चमन की हर कली पुष्प बनकर सुवासित हो रही है। आज उसी चमन के दो महकते गुलाबों के रूप में साध्वी सम्पूर्णयशाजी एवं साध्वी मेघप्रभाजी का जसोल की धरती पर पादार्पण हुआ है। साध्वी सम्पूर्णयशाजी उत्साह की अपर पर्याय हैं। गणनिष्ठा, गुरुनिष्ठा और आचरणनिष्ठा का अनुपम संगम हैं। आपकी प्रमोद भावना देखकर मन प्रसन्न है। साध्वी मेघप्रभाजी ने समण श्रेणी में सैंतीस वर्षों तक रहकर देश-विदेश में यात्रा कर गण की गौरववृद्धि की है। समण श्रेणी की नियोजिका एवं प्रिंसिपल के रूप में सराहनीय कार्य किया है। अब अषाढ़ा का ऐतिहासिक चातुर्मास कर संघ की श्रीवृद्धि करनी है।
साध्वी सम्पूर्णयशाजी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में चार प्रकार के फूलों का उल्लेख आता है, उनमें एक वह होता है जो सुंदर भी होता है और सुवासित भी। साध्वी अणिमाश्रीजी का व्यक्तित्व इसी श्रेणी का है – जिनका बाह्य व्यक्तित्व भी आकर्षक है और अंतरंग साधना से समृद्ध आंतरिक व्यक्तित्व भी अत्यंत प्रभावशाली है। आपके गुणों ने आपके व्यक्तित्व को संवारा और निखारा है। आपकी सरलता, विनम्रता, कर्मठता, स्वाध्यायशीलता और सेवाभावना ने आपके कद को बढ़ाया है। संघ में आपका विशेष नाम है। वर्षों बाद आपसे मिलकर आनंद की अनुभूति हो रही है। यह आनंद के पल हमारे जीवन के सृजन के पल बनें। साध्वी मेघप्रभाजी ने कहा कि साध्वी अणिमाश्रीजी मेक्रो टीचिंग और माइक्रो टीचिंग – दोनों में परिपूर्ण हैं। आपके भीतर हजारों व्यक्तियों को एक साथ संभालने की क्षमता है, तो सूक्ष्मता से तथ्य को एक-एक के हृदय तक पहुंचाने की दक्षता भी है। आप हमारे साध्वी समाज का गौरव हैं। कुछ व्यक्तियों का कर्तृत्व 50 वर्ष के बाद मंद हो जाता है, किंतु कुछेक ऐसे होते हैं जिनका कर्तृत्व उत्तरार्ध में और अधिक निखरता है। साध्वी अणिमाश्रीजी ऐसी साध्वी हैं – जिनका पूर्वार्द्ध भी कांतिमान था और उत्तरार्ध में भी उनका व्यक्तित्व और अधिक प्रकाशित हो रहा है। मेंटर, टीचर, प्रोफेसर आदि अनेक रूप आपके भीतर समाहित हैं। संघ-सूर्य की एक तेजस्वी रश्मि के दर्शन पाकर हम प्रमुदित हैं।
डॉ. साध्वी सुधाप्रभाजी ने कहा कि तेरापंथ के चार-चार आचार्यों के श्रम-सिंचन से सिंचित जसोल की धरा पर यह त्रिवेणी संगम एक पुण्य अवसर है। डॉ. साध्वी भास्करप्रभाजी ने कहा कि हमारा यह मिलन न खजूर की तरह है, न संतरे की तरह – बल्कि चीकू की तरह है, जो बाहर और भीतर दोनों से एकरूप है। साध्वी कर्णिकाश्रीजी, डॉ. साध्वी सुधाप्रभा जी, साध्वी समत्वयशाजी, साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने विभिन्न स्वर लहरियों में साध्वी वृन्द का स्वागत किया। साध्वी संवरविभा जी, साध्वी मौलिकप्रभाजी, साध्वी भास्करप्रभा जी, साध्वी साम्यप्रभा जी व साध्वी महकप्रभाजी ने मनभावन गीत प्रस्तुत किए। महिला मंडल ने भी गीत की प्रस्तुति दी। डूंगर सालेचा एवं पुष्पा बुरड़ ने भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने किया।