युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के जन्मोत्सव, पट्टोत्सव एवं दीक्षा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम

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युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के जन्मोत्सव, पट्टोत्सव एवं दीक्षा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम

तेरापंथ भवन, अमृत सभागार में आचार्य श्री महाश्रमण जी का जन्मोत्सव, दीक्षा दिवस एवं पट्टोत्सव अत्यंत श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया गया। यह त्रिवेणी आयोजन 'शासनश्री' साध्वी सत्यप्रभा जी, 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखा जी एवं साध्वी संपूर्णयशा जी के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के साथ हुई, तत्पश्चात् कन्यामंडल की वर्षिता बालड़ ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि 'संबोधि प्राप्ति के चार दुर्लभ घटक—मनुष्य जन्म, स्तुति, श्रद्धा और संयम—आचार्य महाश्रमण जी के व्यक्तित्व में समाहित हैं। आचार्यश्री का संयम, सत्य और आत्मदर्शन के प्रति समर्पण बेजोड़ है। आपका साधनामय जीवन हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा है।'
साध्वी संपूर्णयशा जी ने कहा कि 'आचार्यश्री का व्यक्तित्व और कर्तृत्व दोनों ही अनुपम हैं। उनके जीवन में सहजता, सरलता और संयम का अद्भुत संगम है।' साध्वी ध्यानप्रभा जी ने 52 वर्ष पूर्व सरदारशहर की धरती पर हुई दीक्षा को स्मरण करते हुए आचार्यश्री के वैराग्य, निष्ठा व कर्तव्यबोध की सराहना की। साध्वी मधुयशा जी ने अपने भावों को कविता के माध्यम से व्यक्त किया, वहीं साध्वीवृंद ने सामूहिक गीत प्रस्तुत कर आचार्यप्रवर के जीवन मूल्यों को रेखांकित किया। महिला मंडल द्वारा समूहगान प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा अध्यक्ष महेन्द्र वैद, तेयुप अध्यक्ष रौनक श्रीश्रीमाल, महिला मंडल अध्यक्षा निर्मला संखलेचा, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका सारिका वागरेचा एवं ज्ञानार्थी पूर्व बालड़ ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति की। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मार्दवयशा जी ने कुशलता से किया।