धर्म युक्त हो व्यक्ति का व्यवहार : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सालैया। 6 जून, 2025

धर्म युक्त हो व्यक्ति का व्यवहार : आचार्यश्री महाश्रमण

तेरापंथ धर्मसंघ के अधिपति, आगम वाणी के मर्मज्ञ व्याख्याता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रातः लगभग 14 किलोमीटर का विहार कर सालैया के एम.वी. पटेल हाई स्कूल प्रांगण में मंगल पदार्पण किया। प्रवचन सभा में अमृतमयी वाणी द्वारा पूज्यवर ने फरमाया कि व्यक्ति का व्यवहार धर्म से युक्त होना चाहिए। जब व्यवहार धर्म से परिपूर्ण होता है, तब वह पवित्र और निर्मल बनता है। अहिंसा, ईमानदारी, संयम और सरलता जैसे गुण यदि जीवन में आ जाएं तो व्यक्ति का व्यवहार आदर्श बन सकता है। आचार्यश्री ने समझाया कि साधु-सुपात्र को दिया गया दान धर्मदान कहलाता है। संसार में अनेक प्रकार के दान प्रचलित हैं, जिनका अपना महत्त्व है। दान को लौकिक और लौकोत्तर श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। गुरु के प्रति विनय रखने का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि पंच महाव्रत धारक शुद्ध साधुओं के प्रति श्रद्धा और आदर का भाव रखना चाहिए। अपने से बड़ों, गुरुजनों के प्रति आदर, सम्मान का भाव होना लौकिक शिष्टाचार के साथ-साथ धार्मिक आचरण का भी हिस्सा सकता है।
पूज्य प्रवर ने आगे कहा कि सभी प्राणियों के प्रति करुणा की भावना होनी चाहिए। "तुलसी दया न पार की, दया आप री होय। तू किणने मारे नहीं, तने न मारे कोय।" — यह भावना जीवन को कोमल और परोपकारी बनाती है। धन और ज्ञान के घमंड से बचने की प्रेरणा देते हुए पूज्यवर ने कहा कि चाहे वह संपत्ति हो, बल हो या तप – किसी का भी अहंकार न किया जाए। शक्ति का सदुपयोग सेवा में होना चाहिए। सत्ता का भी उद्देश्य जनसेवा होना चाहिए, न कि प्रदर्शन में। संतों की संगति के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए आचार्य प्रवर ने कहा, “संत न होते जगत में, जल जाता संसार।” संतों की संगति पापों का विनाश करने वाली और आत्मिक कल्याण की ओर ले जाने वाली होती है। संत स्वयं संयमी होते हैं, और उनके प्रेरणादायक जीवन से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। संत वह होता है जो शांत रहता है और आत्मस्थ रहता है। संतों का संग पापियों के जीवन में भी परिवर्तन ला सकता है।
गृहस्थ जीवन को भी धर्ममय और सात्त्विक बनाकर आत्मकल्याण की दिशा में अग्रसर हुआ जा सकता है। हमें न केवल वर्तमान जीवन बल्कि आगामी जीवन के बारे में भी सोचना चाहिए। धर्म की कमाई से भविष्य का पथ प्रशस्त हो सकता है। पूज्यवर के स्वागत में ग्राम पंचायत की ओर से मुख्य ट्रस्टी बालूभाई पटेल ने अपनी अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।