जीवन में आनंद के लिए आवश्यक : विवेक चेतना का जागरण

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बुहारी।

जीवन में आनंद के लिए आवश्यक : विवेक चेतना का जागरण

श्री रामेदव मंदिर, बुहारी के प्रांगण में बुहारी सकल जैन समाज, बलवंत चौरड़िया एवं भावेश वडोला द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में उपस्थित विशाल परिषद को संबोधित करते हुए प्रोफेसर साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने कहा— संतों का पदार्पण शांति का सिंहनाद और शंखनाद करता है। गंगा पापों का नाश करती है, चंद्रमा ताप का हरण करता है, और संत पाप, ताप एवं संताप को दूर करते हैं। ऋषि-मुनियों की साधना से धरती पवित्र बनी रहती है। ‘संत चरण गंगा की धारा’ विषयक स्वागत समारोह में हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने कहा— जीवन की सुरक्षा के लिए ज्ञान का प्रकाश आवश्यक है। चाहे व्यक्ति कितनी ही डिग्रियां हासिल कर ले, जब तक विवेक चेतना का जागरण नहीं होता, व्यक्ति अंधकार में भटकता रहता है। वह अपनी सही पहचान नहीं कर पाता, अपनी अर्हता और शक्ति का सही उपयोग नहीं कर पाता।
व्यक्ति, परिवार और समाज की वर्तमान समस्याओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि असहिष्णुता और वैचारिक वैमनस्य के कारण मानसिक तनाव की स्थितियां बढ़ती जा रही हैं। तलाक, संबंधों में बिखराव जैसी ज्वलंत समस्याओं पर प्रहार करने के लिए जैन समाज को चिंतन करना चाहिए। गुमराह होती भावी पीढ़ी को सद्संस्कार देने के लिए अभिभावकों की जागरूकता अपेक्षित है। विवेक का प्रकाश, संयम की चेतना और मृदु व्यवहार के माध्यम से अपने व्यक्तित्व को निखारने का संकल्प स्वीकार करें— यही संतों का सच्चा स्वागत है। साध्वी मंगलप्रज्ञा जी की सहवर्तीनी साध्वी अतुलयशा जी के संसारपक्षीय भ्राता बलवंत चौरड़िया परिवार के विशेष निवेदन पर बुहारी नगरी में साध्वीश्री का पावन पदार्पण हुआ। कार्यक्रम में आशु मेहता एवं सीमा कोठारी ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। बुहारी जैन महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया। अंकुर चौरड़िया, हर्ष वडोला, सीमा कोठारी, सूरत तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष नमन मेड़तवाल, मूर्तिपूजक संप्रदाय की ओर से भाई जिनेश जैन एवं प्रेम बाफना ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। कन्या मंडल ने एक सुंदर लघुनाटिका का प्रदर्शन किया।
साध्वी सुदर्शनप्रभा जी और साध्वी राजुलप्रभा जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी वृंद द्वारा ‘संत चरण गंगा की धारा’ गीत का भावपूर्ण सामूहिक संगान किया गया। साध्वी अतुलयशा जी ने साध्वी वृंद का हार्दिक स्वागत करते हुए बुहारी आगमन हेतु साध्वीश्री डॉ. मंगलप्रज्ञा जी के प्रति कृतज्ञता स्वर व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन आशा चौरड़िया ने किया।