
रचनाएं
गूंजे अनशन शहनाई
गूंजे अनशन शहनाई,
महाश्रमण गुरुवर बरतारा, नैया पार लगाई।।
सोहनजी झमकू बाई के कुल पर कलश चढ़ाया,
तीन भाई छह बहनों में लो अव्वल दर्जा पाया-2
मुनिवर कमल बने सहयोगी, गण गरिमा महकाई।।
सतिवर विशद लब्धि चाकरी जीत नगाडे गाजै,
मल्लिकाजी स्हाज दे रहे, कीर्ति कीर्ति राजै,
विपुल वेदना तन में फिर भी, मन में है दृढ़ताई।।
आत्मा भिन्न शरीर भिन्न, बस सध जाए इकतारी,
ना कोई तेरा, ना कोई मेरा, एक धुन हो प्यारी-2
अप्पा कत्ता यही विकत्ता, अन्तर ज्योत जगाई।।
गंगाणे में जन्मी आखिर गंगाणे संथारा,
तुलसी तीर्थभूमि में हो अब, तेजस्वी संथारा-2
पद निर्वाण पंथ पर तेरे चरण चले सुखदाई।।
साध्वी योगक्षेमप्रभा लो तुमको देती आज बधाई।।
लय - यह भारत देश है मेरा