महिमा अपरंपार है

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साध्वी मंजुप्रभा, साध्वी कुंथुश्री

महिमा अपरंपार है

अनशन तप की महिमा अपरंपार है।
वीर पथ पर चलने वालों की होती जय-जयकार है।।
साध्वी कीर्तियशाजी ने अद्‌भुत साहस दिखलाया,
महाश्रमण गुरु आर्शीवर पा भाग्य सितारा चमकाया।
चढ़ते-चढ़ते परिणामों से सिद्धि मिल जाती साकार है।।
अंतिम मनोरथ पूर्ण करके अनुपम ज्योति जलाई है,
लक्षित मंजिल शीघ्र वरो तुम देते खूब बधाई हैं।
बाजी जीती जीती अक्षय सुख भंडार है।।
व्यवहार कुशलता स्वाध्याय प्रियता से निखरा है तव उपवन,
सहनशीलता, अल्पभाषिता समता से मुखरित जीवन।
आत्मा भिन्न, शरीर भिन्न ये मंत्र बड़ा सुखकार है।।
गंगाणै भूमि यह पावन सेवा का परिचायक है।
सेवाभावी मल्लिकाश्री का योग बना वरदायक है।।
विशदप्रज्ञाजी, लब्धियशाजी सतियों का सहकार है।
मंजुप्रभाजी कुंथुश्रीजी भावों का उपहार है।।
लय - खड़ी नीम के नीचे