मृत्यु महोत्सव स्वर्णिम अवसर

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साध्वी चरितार्थप्रभा आदि साध्वी वृन्द

मृत्यु महोत्सव स्वर्णिम अवसर

मंगल पल ये आए,
मृत्यु महोत्सव स्वर्णिम अवसर, संयम को महकाए।।
सहिष्णुता की तराजु ले, अपने मानस को तोला।
वज्र मनोबल धृतिबल से, अति संघर्षों को झेला।
धीरा वीरा गंभीरा बन आत्म शौर्य जगाएं।।
गंगाणे की पुण्य धरा पर तुमने जन्म लिया है।
तुलसी महाप्रज्ञ से शिक्षित संयम धन पाया है। \
महाश्रमण अनुशासना में कीर्ति ध्वजा फहराए।।
शक्तिपीठ से ऊर्जा का संप्रेषण होता निरन्तर।
सेवाकेंद्र में में श्रमण-श्रमणी देते शुभ आशीर्वर।।
श्रावक गण मिल धर्मध्यान का अनुपम ठाठ लगाए।
चरितार्थ प्रभा आदि सतियां मिल करती शुभकामनायें।।
लय - संयममय जीवन हो