
संस्थाएं
प्रेक्षा प्रवाह कार्यशाला आयोजित
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल व प्रेक्षा फाउंडेशन के निर्देशन में, तेरापंथ महिला मंडल राजनगर एवं प्रेक्षा वाहिनी राजनगर के संयुक्त तत्वावधान में भिक्षु बोधि स्थल, राजसमंद में "प्रेक्षा कल्याण वर्ष" अंतर्गत प्रेक्षा प्रवाह कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुनि संबोधकुमार जी 'मेधांश' ने कहा, “ध्यान किया नहीं जाता, बस हो जाता है। सांस को प्रहरी की तरह जानकर लेना ही सच्चा ध्यान है। आज की पीढ़ी रील स्क्रोलिंग जैसी आदतों के कारण तनावग्रस्त हो रही है। ऐसे में प्रेक्षाध्यान, अनुप्रेक्षा, कायोत्सर्ग, लेश्या ध्यान आदि अभ्यास मन को एकाग्र करने का मार्ग दिखाते हैं।”
मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने कहा कि प्रेक्षा गीत का साक्षात्कार ही ध्यान का अनुभव है। ध्यान के माध्यम से मन, शरीर और भावनाओं में संतुलन लाया जा सकता है। मुख्य प्रशिक्षक एवं चाइल्ड बर्थ ट्रेनर अलीशा कर्णावट ने बताया कि जैन धर्म में गर्भधारण से पूर्व माता-पिता के सात्विक विचार और संयमित जीवनशैली शिशु के संस्कारों की नींव रखते हैं। शांत, प्रसन्नचित्त माता का गर्भस्थ शिशु भी गुणी बनता है। गर्भिणी का आहार सात्विक और अहिंसक होना चाहिए, क्योंकि आहार ही शरीर और मन दोनों को पोषण देता है। कार्यक्रम में स्वागत प्रेक्षा वाहिनी संयोजिका सीमा कावड़िया ने किया, और आभार महिला मंडल अध्यक्ष सुधा कोठारी ने व्यक्त किया।