आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

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तंडियारपेट, चैन्नई

आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, उत्तर चेन्नई तंडियारपेट के तत्वावधान में आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष भिक्षु चेतना वर्ष के उपलक्ष्य में वरिष्ठ उपासिका राजश्री डागा की गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत उपासिका राजश्री डागा एवं उपासिका सुप्रिया सामसूखा द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुई। तत्पश्चात 'भिक्षु म्हारे प्रगट्या जी' गीत का भावपूर्ण संगान हुआ। उसके पश्चात 'ॐ भिक्षु जय भिक्षु' का जाप कराया गया।
उत्तर चेन्नई सभा के अध्यक्ष इंदरचंद डूंगरवाल ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। स्थानीय बहनों द्वारा 'भिक्षु अष्टकम' का संगान किया गया। पिंकी गेलड़ा ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। उपासिका राजश्री डागा ने अपने वक्तव्य में कहा कि आचार्य भिक्षु अलौकिक पुरुष थे। उन्होंने एक बालक के रूप में कंटालिया में जन्म लिया और अनासक्त चेतना के धनी रहे। उन्होंने संयम का पथ स्वीकार किया। जब उन्होंने कथनी और करनी में अंतर पाया, तब उन्होंने आगम स्वाध्याय किया। तेरापंथ की स्थापना में श्रावक एवं श्राविकाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
आचार्य भिक्षु के 300वें जन्मदिवस वर्ष का शुभारंभ हो चुका है। इस वर्ष हमें आचार्य भिक्षु के साहित्य का अधिक से अधिक स्वाध्याय करने का संकल्प लेना है तथा भावी पीढ़ी को उनके सिद्धांतों और विचारों से अवगत कराना है। धन्यवाद ज्ञापन सभा के उपाध्यक्ष दिलीप गेलड़ा ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन शांता गेलड़ा ने किया।