भिक्षु चेतना वर्ष की शुरूआत में नौ रंगी तप अभिनंदन समारोह

संस्थाएं

राजराजेश्वरी नगर।

भिक्षु चेतना वर्ष की शुरूआत में नौ रंगी तप अभिनंदन समारोह

महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी पुण्ययशाजी के सान्निध्य में भिक्षु चेतना वर्ष के शुभारंभ के अवसर पर राजराजेश्वरी नगर में नौ रंगी तप में भाग लेने वाले 91 तपस्वियों का एक समारोह के रूप में तप अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें साध्वी पुण्ययशाजी की सहयोगी साध्वी विनीतयशाजी सहित 21 तपस्वियों ने नौ, आठ, ग्यारह और तेरह की तपस्या के प्रत्याख्यान किये। साध्वी पुण्ययशाजी ने अपने उद्‌बोधन में कहा- दो अक्षर का एक छोटा सा शब्द 'तप' है। जिसकी शब्द संरचना जितनी लघु है उसका कार्य उतना ही महान है। भगवान महावीर ने तप को मोक्ष का एक मार्ग बताया है। अणु से भी कई गुणा शक्ति तप में होती है। तपस्या से जन्म-जन्म के कर्म क्षीण हो जाते हैं। नौ रंगी में भाग लेने वाले सभी तपस्वियों ने आत्मबल, मनोबल, गुरुबल से तप में चार चांद लगाए है। तप एक प्रकार की औषध है। अनेकों रोगों का उपचार तप के द्वारा होता है। तप से शारीरिक, मानसिक भावनात्मक एवं आध्यात्मिक सिद्धियां और शक्तियां जागृत होती है।
साध्वी वर्धमानयशाजी के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हु‌आ। भाइयों एवं महिला मंडल की बहनों ने तप अभिनंदन गीत प्रस्तुत किया। महासभा से प्रकाश लोढ़ा, सभा के पूर्व अध्यक्ष कमलसिंह दुगड़, तेयुप अध्यक्ष विक्रम महेर, महिला मंडल अध्यक्ष मंजु बोथरा, संघ संवाद प्रवक्ता जितेन्द्र घोषल एवं तपस्वियों के परिवार वालों आदि ने वक्तव्य एवं गीतिका के द्वारा तप अनुमोदना की। सभी तपस्वियों का सम्मान अभिनंदन पत्र, जैन पट्ट एवं साहित्य से किया गया। तपस्वियों से संपर्क करने एवं सूची बनाने में जयंती कोठारी एवं पदमा महेर ने समय व श्रम नियोजित किया। तपोमय वातावरण में साध्वी बोधिप्रभा जी ने मंच का संचालन कुशलता से किया। सम्मान समारोह संचालन मंत्री गुलाब बाँठिया ने तथा आभार दिनेश मरोठी ने किया। अच्छी संख्या में श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति रही।