भक्तामर श्रद्धा व भक्ति का उत्कृष्ट रसायन है

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बालोतरा।

भक्तामर श्रद्धा व भक्ति का उत्कृष्ट रसायन है

साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा, बालोतरा के तत्वावधान में सजोड़े दिव्य भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान का भव्य एवं गरिमामय कार्यक्रम आयोजित हुआ। स्वस्तिक आकार में बैठे जोड़े सबके लिए आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बन गए। साध्वीश्री जी ने विशेष ऊर्जा के साथ ऋद्धि मंत्रों एवं मंत्रो के साथ प्रभावोत्पादक अनुष्ठान करवाया। सभी अनुष्ठान कर्ताओं ने अनुपम ऊर्जा की अनुभूति की। साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा भक्तामर स्तोत्र आचार्य मानतुंग की वो रचना है जिसकी रचना उन्होंने काल कोठरी में बैठकर की। भगवान आदिनाथ के प्रति उनकी श्रद्धा एवं भक्ति से चमत्कार घटित हुआ और वो अड़तालीस तालों से बाहर निकलकर आ गए। साध्वीश्री ने कहा यह स्तोत्र श्रद्धा व भक्ति का वह उत्कृष्ट रसायन है। जिसके संगान मात्र से शरीर के रोम रोम में नई स्फूर्ति का संचरण होता हैं। भक्तामर स्तोत्र ऊर्जा का अक्षय स्रोत है। इसकी साधना करने वाला कण-कण में ऊर्जा की अनुभूति करता है। यह कल्पवृक्ष के तुल्य है जो इसकी साधना करने वाले साधकों की कामनाओं एवं मनोरथ को पूर्ण कर सकता है। भगवान आदिनाथ की यह स्तुति विघ्न विनाशक मंगलकारक एवं आनंदप्रदायी है। भक्तामर अनुष्ठान के द्वारा प्राण ऊर्जा एवं वातावरण में संचेतनता का जागरण होता है। हमारे जीवन में भी अनेक समस्याओं के ताले लगे हुए हैं। उन सारे तालों की चाबी है भक्तामर स्तोत्र। हर भाई बहन को यह स्तोत्र प्रतिदिन करना चाहिए। जीवन में खुशहाली आ सकती है। साध्वीश्री ने कहा तेरापंथ सभा ने बहुत कम समय में सुन्दर व्यवस्था कर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की है। तेयुप महिला मंडल का सराहनीय सहयोग रहा है। साध्वी कर्णिकाश्री जी एवं डॉ साध्वी सुधाप्रभाजी ने मंगल संगान किया। सभाध्यक्ष महेन्द्र बैद मुथा ने पूरी परिषद की ओर से साध्वीश्री जी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित की।