लोगस्स कल्प अनुष्ठान का आयोजन

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होस्कोटे।

लोगस्स कल्प अनुष्ठान का आयोजन

आचार्य श्री महाश्रमणजी की शिष्या साध्वी सोमयशाजी ठाणा-3 के सान्निध्य में लोगस्स कल्प अनुष्ठान हुआ, साध्वीश्री ने कहा की लोगस्स को कलयुग का कल्पवृक्ष कहा जाता है। यह स्तुति ग्रंथ शक्तिशाली मंत्रो का संग्रह है, इसकी आराधना से आरोग्य, अंतरदृष्टि और समस्याओं का समाधान मिलता है, चन्द्रमा, सूर्य और सागर के प्रतीक प्रभु का ध्यान करने से निर्मलता, तेजस्विता और गंभीरता का विकास होता है अनुष्ठान विविध मुद्राओं के साथ करवाया गया। इस अनुष्ठान से अनेक लाभ होता है। जैसे मन की प्रसन्नता, चित्त की निर्मलता, भावो की पवित्रता होती है, सकारात्मक सोच का विकास होता है। साध्वीश्री ने ‘चंदेसु निम्लयरा’ और ‘आरोग्यबोहिलाभं’ का बहुत ही सुन्दर तरीके से विवेचन किया। प्राय: सभी भाई-बहनों ने 5 लोगस्स 5 दिशाओं में करने का संकल्प लिया। रात्रि में त्याग करने का संकल्प किया।
100वॉ गणाधिपति गुरुदेव तुलसी का दीक्षा दिवस पर तुलसी अष्टकम, मौन, सामायिक, उपवास आदि की प्रेरणा दी, अनेकों को संकल्प करवाया। साध्वीश्री का अल्पकालीन प्रवास संघप्रभावक रहा अनेक लोगों ने भिक्षु चेतना वर्ष के उपलक्ष में त्याग प्रत्याख्यान किए। इसी प्रवास में ज्ञानशाला के बच्चों ने साध्वीश्री की उपासना कर अपने आपको संस्कारी बनाने का संकल्प लिया। आस-पास के क्षेत्रों के अनेक श्रावकों ने दर्शन कर अपने क्षेत्र में पधारने की विनती की, वेल्लुर, केजीएफ के श्रावको ने अपनी उपस्थिति दर्ज की, यशवंतपुर के बरड़िया परिवार के मदनलाल बरड़िया का स्वर्गवास हो गया। शौक संपन्न कर होसकोटे में साध्वीश्री के दर्शन कर संबल प्राप्त किया साध्वी सरलयशाजी, साध्वी ऋषिप्रथा जी ने अपने विचार रखे। बरड़िया परिवार की बहिनों ने गीत की प्रस्तुति दी, हर्षिल बरड़िया ने भी प्रस्तुति दी।