अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
भुवनेश्वर।
दुनिया को संवारने, सजाने व संस्कार देने वाली शक्ति का नाम नारी है। नारी ममता का मंदिर है। दिल का दरिया है, विनय का वैभव है, समर्पण की साधना है। त्याग उसका स्वभाव है। प्रदान उसका धर्म है। सहनशीलता उसका व्रत है। जिसके कोई शत्रु नहीं है उसका नाम नारी है। नारी ने कितने लोगों को सन्मार्ग की ओर लाया है। ये विचार मुनि जिनेश कुमार जी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर तेरापंथ भवन में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि नारी का उत्कृष्ट रूप माँ है, महिला है, ममता, हिम्मत, लज्जायुक्त शक्ति का नाम महिला है। चार दीवारी व बंधन में रहने वाली महिलाएँ आज अंतरिक्ष तक पहुँच गईं, महिलाओं ने हर क्षेत्र में विकास किया है।
अध्यात्म में भी महिलाएँ आगे रहती हैं। महिलाएँ अपने सद्-संस्कार, सद्चरित्र, सद्व्यवहार के द्वारा समाजोत्थान के कार्य करें। महिलाएँ संस्कारी हैं तो घर-परिवार भी संस्कारी होगा। मुनि कुणाल कुमार जी ने गीत व मुनि परमानंद जी ने विचार व्यक्त किए।