महावीर के सिद्धांत विचार और व्यवहार में हों

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महावीर के सिद्धांत विचार और व्यवहार में हों

नोखा।
वर्तमान युग में महावीर के सिद्धांत सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत और अधिक प्रासंगिक हैं। उनके सिद्धांत विचारों में व्यवहार में आने चाहिए। मात्र भाषणों में नहीं, व्यवहार व आचरणों में संयम, साधना का समावेश होना आवश्यक है। यह उद्गार शासन गौरव बहुश्रुत साध्वी राजीमती जी ने भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर तेरापंथ भवन में रखे। तेममं ने मंगल गीत की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला के नन्हे बच्चों ने ‘जन्म जीवन झांकी महावीर का जन्म हमें मिलेगी मिठाईयां’ चित्रण किया। कन्या मंडल की कन्याओं ने सुंदर प्रस्तुति दी। साध्वी पल्लवप्रभाजी, साध्वी पुलकितयशा जी और साध्वी समताश्री जी ने महावीर प्रभु को कष्ट सहिष्णु और तारण-तरण जहाज बताया। सभा मंत्री इंदरचंद बैद, सहमंत्री सुनील बैद, धारा लुणावत, बालक गौरव, आयुष मालू, हर्षित भूरा, जयश्री पारख ने भगवान महावीर की करुणा, दया, सेवा, सहिष्णुता और तीर्थंकर केवली के प्रति भाव रखे। कन्या मंडल की सुंदर प्रस्तुति पर तेरांपथ सभा द्वारा 14 कन्याओं को मोमेंटो भेंट सभा अध्यक्ष हनुमानमल ललवाणी, तेयुप अध्यक्ष रूपचंद बैद, महिला मंडल अध्यक्षा मंजु बैद, संरक्षक मांगीलाल संचेती ने सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन जयश्री पारख ने किया।