युगप्रधान की महिमा गूंजे
युगप्रधान की महिमा गूंजे, देखो सकल जहान।
हर्षित प्रमुदित दसों दिशाएँ, गाएँ मंगल गान।
अनुपमेय तेरी गाथाएँ, धरती पर भगवान।।
जय-जय ज्योतिचरण, तुम्हीं तारण तरण।
है भव-भव तेरी शरण, महाश्रमण।।
पथरीली राहों में, गिरी कंदराओं में,
थामें न तुमने ये चरण।
गरजती घटाओं में, झुलसती हवाओं में,
मुख पर है समता का वरण।
स्वर्णाक्षर अंकित यात्राओं का इतिहास महान।
विस्मित हो सब शीश नमाएँ, आस्था के अस्थान।। अनुपमेय---।।
दिव्य तेरा रूप है, जिनवर स्वरूप है,
भरता नहीं ये मन कभी।
स्नेह का प्रपात है, मिले दिन-रात है,
बाधाएँ आती ना कभी।
मंगलपाठ तुम्हारा गुरुवर, ज्यों अमृत का पान।
दोनों हाथों से जी-कारा, सर्व सुखों की खान।। अनुपमेय---।।
गुरुद्वय साकार हो, नवयुग आकार हो,
तुमसे जुड़ी हर आस है।
शासना में हम बढ़ें, संघ शिखरों चढ़े,
गण को समर्पित श्वास है।
मर्यादा का रूप निराला, अनुशासन पहचान।
है आचार अनुत्तर विभुवर, जिन शासन की शान।। अनुपमेय---।।
लय: अल्लाह वारियां...