अर्हम
मनोनयन साध्वीप्रमुखा का बना संघ खुशहाल।
गण प्रांगण में आज सुरभित शीतल चले बहार।
पौर-पौर में पुलकन, स्वर्णिम भोर नूतन।।
युगप्रधान महाश्रमण जी नव इतिहास रचाया।
साध्वीप्रमुखा नवमी गण प्रकाश छाया।
दशों दिशाएँ मोद मनाएँ स्वागत में नव थाल सजाएँ
गाएँ मंगलाचार।।
साधना विशिष्ट तेरी, प्रेरणामय जीवन।
गुण सुमनो से महका तेरापंथ उपवन
महाप्रज्ञ की अनुपम कृति का अभिनंदन बार हजार।।
समणी से श्रमणी महाहीरकमणी सोमार,
साध्वी शिरोमणी पा भाग्य सराएँ।
अर्चा की नव लाए ऋचाएँ, संघ मणी को आज बधाएँ।।
खुशियाँ बेअंदाज।।
भैक्षव गण की महिमा निराली,
महाश्रमण गुरुवर के साध्वी गण आभारी।
मंगलमय हो सदा संघ में जय विजय हो सदा संघ में।
महाश्रमण रिछपाल।।
लय: स्वर्ग से सुंदर---