गजसुकुमाल एवं संस्कार नाटक का आयोजन
कांटाबाजी।
मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में मुनि कुमुद कुमार जी की प्रेरणा, निर्देशन, मार्गदर्शन से तेयुप एवं कन्या मंडल द्वारा गजसुकुमाल एवं संस्कार नाटिका का आयोजन हुआ। मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि संस्कार एवं गजसुकुमाल परिसंवाद की प्रस्तुति हुई। संस्कारों की आज के समय में नितांत आवश्यकता है। संस्कारों के बिना प्राप्त ज्ञान भार बन जाता है। जीवन जीना बड़ी बात नहीं अपितु चित्त समाधिमय जीवन जीना ही जीवन की सार्थकता है। धार्मिक संस्कार जीवन को सही रास्ते पर चलाना सिखाते हैं। नम्रता, शालीनता एवं शिष्टता के संस्कार परिवार का गौरव है।
गजसुकुमाल का नाटक बहुत ही प्रेरक है। श्रीकृष्ण के आध्यात्मिक जीवन से बहुत प्रेरणा प्राप्त की जा सकती है। श्रीकृष्ण ने कितने-कितने लोगों को आत्मकल्याण के लिए प्रेरित किया। गजसुकुमाल ने दीक्षा ली भयंकर कष्ट को सहन किया। समभाव, समता, कर्मनिर्जरा का उत्कृष्ट उदहारण है। संयम जीवन की प्राप्ति हो ये मनोरथ हर श्रावक के मन में रहना चाहिए। मुनि कुमुद कुमार जी ने प्रेरणा देकर रोचक प्रस्तुति तेयुप एवं कन्या मंडल द्वारा करवाई। मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि तेयुप द्वारा आयोजित नाटक को तेयुप एवं कन्या मंडल ने प्रस्तुत कर जीवंत संदेश दिया है।
गजसुकुमाल की जीवन कहानी है। तेयुप एवं कन्या मंडल ने अथक् जागरूकता से भव्य प्रस्तुति दी। सभी साधुवाद के पात्र हैं। मीडिया प्रभारी अविनाश जैन ने बताया कि तेयुप द्वारा आयोजित गजसुकुमाल एवं संस्कारक नाटक को तेयुप के सदस्यों एवं कन्या मंडल की सदस्यों ने भव्य, शालीन एवं रोचक प्रस्तुति दी। विकास जैन ने गजसुकुमाल एवं पूजा जैन ने संस्कारक नाटक का संचालन किया। प्रायोजक गौतम बेलपाडा एवं विकास जैन का मोमेंटो द्वारा सम्मान किया गया। गजसुकुमाल एवं संस्कारक नाटक के पात्रों को प्रायोजक परिवार द्वारा सम्मानित किया गया। सुमित जैन ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में उत्केला, सिंधिकेला, बेलपाडा एवं बगुमुंडा से श्रावक समाज उपस्थित रहा।