गर्व है तेरापंथी होने का

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गर्व है तेरापंथी होने का

विजयवाड़ा।
तेरापंथ भवन में मुनि दीप कुमार जी के सान्निध्य में ‘गर्व है तेरापंथी होने का’ कार्यशाला का आयोजन तेरापंथी सभा, विजयवाड़ा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में उपस्थिति अच्छी रही। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि तेरापंथ गौरवशाली धर्मसंघ है। इसका केंद्रीय तत्त्व है-अनुशासन। संघ में आचार्यश्री के अनुशासन को सब साधु-साध्वियाँ सहर्ष स्वीकार करते हैं। उन्हीं संस्कारों में वे पलते हैं। तेरापंथ को मानने वाले हर व्यक्ति का अनुशासन के सामने सिर झुकता है। संघ का प्राण है-अनुशासन। त्राण है-अनुशासन। तेरापंथ की जो सुषमा है, सौंदर्य है, सत्यं, शिवं, सुंदरम तीनों का योग है। उसका मूल कारण है-अनुशासन। मुनिश्री ने आगे कहा कि हम तेरापंथी होने का गौरव अनुभव करें।
अपने आपको आचार्य भिक्षु का अनुयायी मानें। साथ-साथ यह भी सोचें कि इस गर्व करने का तथा आस्था का एक मूल कारण है-अनुशासन। आचार्य भिक्षु से लेकर वर्तमान में आचार्यश्री महाश्रमण जी तक ने अनुशासन को महत्त्व दिया है। मुनिश्री ने श्रावक समाज के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए जैन और तेरापंथ के संस्कारों को मजबूत करने की प्रेरणा देते हुए विभिन्न विषयों की बात कही। मुनि काव्य कुमार जी ने तेरापंथ की एक ऐतिहासिक घटना के माध्यम से बताया कि तेरापंथ होने का गर्व हमें कैसे करना चाहिए। कार्यक्रम में अणुव्रत समिति द्वारा पूर्व में आयोजित प्रतियोगिता के प्रमाण-पत्र वितरित किए गए।