पचरंगी तप अभिनंदन समारोह

संस्थाएं

पचरंगी तप अभिनंदन समारोह

लिलुआ।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में एवं लिलुआ तेरापंथी सभा के द्वारा पचरंगी तप अभिनंदन समारोह का आयोजन तेरापंथ भवन में किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जिनशासन में आत्म शुद्धि के चार उपाय बताए गए हैं। उसमें एक महत्त्वपूर्ण उपाय सम्यग् तप है। तप कर्म निर्जरा का साधन है। तप ज्वाला नहीं ज्योति है, विग्रह नहीं अनुग्रह है, दमन नहीं शमन है। मुनिश्री ने आगे कहा कि तप मन, वचन, काया रूपी योगों को स्वस्थ बनाता है और उपयोग को सम्यक् बनाता है। तप के साथ स्वाध्याय, ध्यान, जप आदि का योग हो तो सोने में सुहागा जैसी कहावत चरितार्थ होती है। मुनिश्री ने कहा कि लिलुआ आदि क्षेत्रों की सक्रियता से ही पचरंगी तप बिना मौसम में होना अपने आपमें विलक्षण है।
बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने तप प्रेरणा गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर भिक्षु भजन मंडली द्वारा तप अनुमोदना गीत प्रस्तुत किया गया। स्वागत भाषण लिलुआ, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष प्रमिल बाफना ने दिया। इस अवसर पर भीखमचंद पुगलिया, राजकरण सिरोहिया, कटक सभा के अध्यक्ष मोहनलाल सिंघी, अमरचंद सेठिया, तेयुप के अध्यक्ष अमित बांठिया, तेममं की अध्यक्षा बेला पोरवाल ने तप अनुमोदना में अपने विचार व्यक्त किए। पंचोला तप के तपस्वी आनंद लुणिया, मंजु घोड़ावत ने तपस्या के अनुभव सुनाते हुए विचार व्यक्त किए। आभार ज्ञापन तेरापंथी सभा के मंत्री रोशन चोपड़ा ने व कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।