पैंसठिया छंद अनुष्ठान का आयोजन

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पैंसठिया छंद अनुष्ठान का आयोजन

पांडिचेरी।
साध्वी लावण्याश्री जी के सान्निध्य में पाश्र्वनाथ जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन मंदिर परिसर में रविपुष्य नक्षत्र के विशिष्ट योग के उपलक्ष्य में पैंसठिया छंद अनुष्ठान का विशेष आयोजन किया गया। दो चरण में कार्यक्रम आयोजित हुआ। साध्वी सिद्धांतश्री जी, साध्वी दर्शितप्रभा जी ने अनुष्ठान करवाया। साध्वी सिद्धांतश्री जी ने पैंसठिया छंद का महत्त्व बताया। साध्वी लावण्याश्री जी ने कहा कि तन्मयतापूर्ण, शुद्ध भावों से की गई मंत्र साधना व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक बनती है, आत्मोन्नति के मार्ग को खोलती हैं। आज के रविपुष्य नक्षत्र के शुभ योग पर पैंसठिया छंद का अनुष्ठान हुआ। यह मंत्र साधना का विशिष्ट योग है। इसमें जैन धर्म के अतिविशिष्ट महापुरुष 24 तीर्थंकरों की स्तुति की जाती है। यह मंत्र कष्ट निवारक, आनंद प्रदायक, शांतिदायक है।
साध्वी लावण्यश्री जी ने तेरापंथ का संविधान, मर्यादाओं का वाचन करते हुए कहा कि हमारा धर्मसंघ एक आचार्य केंद्रित संघ है। हम एक गुरु की छत्रछाया में हमेशा निश्चित रहते हैं। साध्वीवृंद द्वारा लेख पत्र का वाचन किया गया। उपासक सौभागमल सांड ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया, जिसे सभी ने संकल्पों को स्वीकार किया। इस अनुष्ठान में पांडिचेरी के साथ कडलूर, तिन्डिवनम् आदि क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाएँ उपस्थित रहे।