त्रिदिवसीय आध्यात्मिक अनुष्ठान प्रारंभ

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त्रिदिवसीय आध्यात्मिक अनुष्ठान प्रारंभ

उज्जैन
बोधि दिवस : साध्वी कीर्तिलता जी के सान्‍निध्य में त्रिदिवसीय आध्यात्मिक अनुष्ठान प्रारंभ हुआ। साध्वी कीर्तिलता जी ने आचार्य भिक्षु के 296वें जन्मदिवस पर कहा जहर को भी अमृत मानकर पीने वाले आचार्य भिक्षु के जीवन में गहराई भी थी, ऊँचाई भी थी और सच्चाई भी थी।
साध्वी पूनमप्रभा जी ने अपने संयोजकीय वक्‍तव्य में कहा कि आज एक महापुरुष का जन्मदिवस है जिससे संपूर्ण धर्मसंघ में उल्लास छाया रहा। साध्वी श्रेष्ठप्रभा जी ने कहा कि प्रत्युत्पन्‍न मेधा के धनी आचार्य भिक्षु ने अनुकूल व प्रतिकूल सबको सहन किया। उपासिका वीरबाला ने भी अपने विचार रखे।
चातुर्मासिक चतुर्दशी : साध्वी कीर्तिलता जी के सान्‍निध्य में चतुर्दशी की शुरुआत भक्‍तांबर के जप से हुई। बड़ी संख्या में लोगों ने जप में हिस्सा लिया। साध्वी कीर्तिलता जी ने चातुर्मास चतुर्दशी के महत्त्व को समझाते हुए कहा कि चातुर्मास में सिर्फ ढाई अक्षर की साधना करनी होती है। ढाई अक्षर को छोड़ना है आज जीवन रूपी खेती में अध्यात्म रूपी बीजों का रोपण करने का दिन है। साध्वी शांतिलता जी ने कहा कि शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ्य रखने का विज्ञान है चातुर्मास। साध्वी श्रेष्ठप्रभा जी ने अपने संयोजकीय वक्‍तव्य में सबको प्रेरणा दी। साध्वी पूनमप्रभा जी ने गीत का संगान किया।
तेरापंथ स्थापना दिवस : साध्वी कीर्तिलता जी के सान्‍निध्य में तेरापंथ धर्मसंघ का 262वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। साध्वीश्री जी ने अपने प्रवचन में कहा कि आचार्यश्री भिक्षु ने त्याग और बलिदान की पृष्ठभूमि में धर्म क्रांति की।
सत्य का साक्षात्कार करने के लिए उन्होंने धर्मक्रांति की उस समय पूरे समाज में उथल-पुथल मच गई, फिर भी सत्य को पाने के लिए अपने गुरु का साथ छोड़ने में भी नहीं हिचके। उसी की निष्पत्ति है तेरापंथ। साध्वी शांतिलता जी, साध्वी पूनमप्रभा जी, साध्वी श्रेष्ठप्रभा जी ने रोचक कार्यक्रम किए।
मंत्र दीक्षा : साध्वी कीर्तिलता जी के सान्‍निध्य में बच्चों को मंत्र दीक्षा का सुंदर कार्यक्रम चला। अभातेयुप द्वारा निर्देशित मंत्र दीक्षा के कार्यक्रम को साध्वीश्री जी ने बड़े ही सुंदर ढंग से बच्चों को समझाया। साध्वीश्री जी ने नमस्कार मंत्र की महत्ता को बताते हुए कहा कि यह मंत्र हमें धरोहर के रूप में मिला है, इसमें अहं से अर्हम बनने का आमोघ साधन है। अरिहंत अतिशय धारी पुरुष होते हैं।
अरिहंत जन्म-मरण की परंपरा को तोड़ने वाले होते हैं, ऐसे मंत्र को जन्मघुट्टी की तरह प्रत्येक बच्चे को जन्म से ही पिलाना चाहिए। आपने सभी बच्चों को मंत्र दीक्षा दिलाई। साध्वी शांतिलता जी ने कहा कि मंत्र दीक्षा संस्कारों की दीक्षा है। तेयुप, उज्जैन द्वारा उपस्थित लगभग 15 बच्चों को पुरस्कार दिया गया।