आचार्यश्री तुलसी की 27वीं पुण्यतिथि पर विशेष
युगप्रधान ने युगधारा को दिए गए अवदान।
प्रभु को शीष झुकाएँ, नाव को पार लगाएँ।।
कुंकुम के चरणों से खटेड़ कुल में आए।
राजरूप दादाजी लाड लड़ाए।
झूमर वदनानंदन तुलसी-चंदेरी सम्मान।।
अणुव्रत नैतिकता की अलख जगाएँ।
प्रेक्षा की छाँह तले जीवन सजाएँ।
जीवन का विज्ञान सुनहरा-शिक्षा का अभियान।।
जैन विश्व भारती मुलकों में छाएँ।
समण श्रेणी देश-विदेशों पहचान बनाएँ।
पा0शि0 संस्था की फुलवारी-अमल धवल अश्मान।।
आगम संपादन से कीर्तिमान रचाया।
साहित्य शिल्पन से सूरज उगाया।
प्रवचन कौशल-अद्भुत अविचल उतरे पुण्य निधान।।
जब तक नभ में रवि शशि गौरव गाएँ।
ऊर्जा पुरुष का हम सब ध्यान लगाएँ।
पुण्य तिथि की पावन बेला करो प्रभु फरमान।
पुण्यात्मा के चरण कमल में ‘परमयशा’ संगान।।
लय: स्वर्ग से सुंदर---