आचार्य भिक्षु के जन्म दिवस एवं बोधि दिवस का कार्यक्रम
पेटलावद।
आचार्य भिक्षु एक महापुरुष हुए जिनके संयमी जीवन के स्मरण से हमारा हृदय प्रकाश से भर जाता है। उनका उच्च आचरण वाला जीवन हमारे लिए आदर्श रूप है। वे एकाभवतारी थे। आचार्य भिक्षु की वीतराग भगवान के प्रति गहरी आस्था थी। उक्त उद्गार मुनि सुव्रत कुमार जी ने तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम गुरु महामना आचार्यश्री भिक्षु के 298वें जन्म दिवस व बोधि दिवस पर तेरापंथ भवन में श्रावक-श्राविकाओं के समक्ष व्यक्त किए। आपने कहा कि आचार्य भिक्षु एक ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने जीवन भर कठिनाइयों को सहन किया। वे जीवन भर साधना के द्वारा कर्म निर्जरा करते रहे।
आपने प्रासंगिक रूप में तेरापंथ धर्मसंघ के विशिष्ट श्रावक चंद रामपुरिा के जीवन का उल्लेख करते हुए कहा कि वे बैरिस्टर होते हुए भी विनम्र व गुणवान व्यक्तित्व वाले थे।इस अवसर पर मुनि मंगलप्रकाश जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु का हम सब पर महान उपकार है। हम सही तत्त्व को सही समझने का प्रयास करें। आपने मिथ्यात्व के दस बोलों का विश्लेषण किया साथ ही नरक गति के बारे में बताते हुए वहाँ दुखों का विश्लेषण भी किया। इस अवसर पर मुनि शुभम कुमार जी ने भी संबोधित किया। अनेक व्यक्तियों ने उपवास-एकासन के प्रत्याखान लिए।