विकास महोत्सव के विविध आयोजन

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विकास महोत्सव के विविध आयोजन

कालू
साध्वी उज्ज्वलरेखा जी के सान्निध्य में विकास महोत्सव मनाया गया। विकास महोत्सव पर साध्वीश्री जी ने कहा कि वैज्ञानिक युग में यदि कोई व्यक्ति परिवार या समाज सफलता का जीवन जीने का अभीप्सु है। जीना चाहता है तो उसे दो बातों पर पहले ध्यान केंद्रित करना होगाµमर्यादा और अनुशासन। जहाँ इन दो तत्त्वों को गोण किया जाता है वह व्यक्ति हो अथवा संगठन या कोई संस्थान कभी भी प्रगति, विकास नहीं कर पाता। तेरापंथ धर्मसंघ सौभाग्यशाली संघ है जहाँ विकास की निरंतर प्रक्रिया जारी है। आचार्य भिक्षु ने प्रगति की रफ्तार को सुपर एक्सप्रेस स्पीड में बदल दिया। साध्वीश्री जी ने आगे बताया कि विकास महोत्सव आचार्यश्री महाप्रज्ञ की देन है। उन्होंने अपने विकास प्रदाता नवमाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के पदारोहण दिवस को स्थायित्व देते हुए विकास महोत्सव की परिकल्पना प्रस्तुत की। गुरुदेव श्री तुलसी स्वयं विकास के पुरोधा पुरुष थे। उन्होंने अपने शासनकाल में संघ को शिक्षा शोध, कला, साहित्य, सामाजिक संस्थाएँ, प्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान, विसर्जन, नया मोड, अहिंसा प्रशिक्षक, अणुव्रत, जैन विश्व भारती जैसी महान कार्य द्वारा विकास के नए क्षितिज खोल दिए। विकास महोत्सव तेरापंथ की गति-प्रगति का प्रतीक है।
कार्यक्रम का संचालन साध्वी अमृतप्रभा जी ने किया। महिला मंडल द्वारा सामुहिक संगान किया गया। साध्वी हेमप्रभा जी ने आचार्यश्री तुलसी के जीवन की कठिनाइयों से परिचित करवाया। कन्या मंडल संयोजिका का अमिषा लोढ़ा, ज्ञानशाला के विद्यार्थी इशा दुगड़, भव्यम सांड एवं सभा अध्यक्ष बुढ़मल लोढ़ा ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। साध्वीवृंद ने सामुहिक संगान किया। संघ गीत के बाद मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।