चित्त समाधि शिविर का आयोजन
साउथ कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेममं के तत्त्वावधान में चित्त समाधि शिविर का आयोजन तेरापंथ भवन में हुआ। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में अभातेममं की पूर्व अध्यक्षा डाॅ0 सूरज बरड़िया थी। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जीवन में समाधि का महत्त्व है। समाधि के बिना समाधान नहीं मिलता है। चित्त समाधि के लिए विनय, श्रुत, तप, आचार की आराधना करनी चाहिए। मन में जितनी आकांक्षा कम होगी उतनी ही समाधि मिलेगी। व्यक्ति पदार्थ के प्रति जितना आसक्ति रखता है उतना ही दुखी होता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि आधि, व्याधि, उपाधि से जो मुक्त होता है वह समाधि को प्राप्त होता है। बदलते परिवेश में व्यक्ति का चित्त अशांत रहता है। अशांत मन के कारण तनाव पैदा होता है। तनाव के कारण बीमारियाँ पैदा होती हैं। मुनिश्री ने कहा कि रहना, सहना, कहना आ जाए तो व्यक्ति सुखी हो सकता है। मुनि परमानंदजी, डाॅ0 सूरज बरड़िया ने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ तेममं की बहनों के मंगल संगान से हुआ। स्वागत भाषण तेममं की अध्यक्षा पदमा कोचर, आभार मंत्री अनुपमा नाहटा व संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। शिविर में अच्छी संख्या में महिलाएँ उपस्थित थीं।