बारह व्रतों की विवेचना

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बारह व्रतों की विवेचना

बोइनपल्ली, हैदराबाद
साध्वी मधुस्मिता जी के सान्‍निध्य में अभातेयुप के निर्देशन में तेयुप द्वारा बारह व्रत कार्यशाला आयोजित की गई। साध्वी मधुस्मिता जी ने कहा कि व्रत श्रमण संस्कृति का प्राण तत्त्व है। व्रत व्यक्‍ति को आत्मा के निकट ले जाता है और बाह्य जगत से अनासक्‍त बनाता है। युग परिवर्तन के बाद भी व्रतों के प्रति घनीभूत आस्था उनके त्रैकालिक महत्त्व को उजागर कर रही है।
कार्यशाला में तेयुप अध्यक्ष प्रवीण श्यामसुखा ने स्वागत भाषण किया। नवनीत छाजेड़, राकेश धारीवाल व प्रवीण श्यामसुखा ने विजय गीत का संगान कर मंगलाचरण किया। संयोजक सुदीप नौलखा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रम किया। सभी संस्थाओं के पदाधिकारीगण एवं श्रावक-श्राविका समाज की उपस्थिति भी अच्छी रही।