दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन

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दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी की सुशिष्या डॉ. साध्वी गवेषणाश्री जी आदि का शंकराचार्य मठ के मठाधिपति विजयेन्द्र सरस्वती स्वामीजी के साथ मिलन हुआ। अनेक विषयों पर धर्म-चर्चा करते हुए मठाधीशपति ने कहा- भारत के विकास के साथ महिला शिक्षा का भी विशेष महत्त्व है। पर्यावरण सरंक्षण भी विकास का आयाम होना चाहिए। वर्तमान में संस्कार संपन्न महिला ही परिवार का पोषण कर सकती है। विजयेन्द्र स्वामी ने कहा- आपके चातुर्मास में माधावरम् आकर स्कूली कार्यक्रम करने की इच्छा है।
डा. साध्वी गवेषणाश्री जी ने कहा- आचार्यश्री महाश्रमणजी की सारी शिष्याएं मानवता के लिए समर्पित है। इसके लिए वह नैतिकता, सद्भावना व नशामुक्ति का अभियान लेकर चल रहे हैं। महिलाओं को शिक्षण देने से पहले संस्कारों की शिक्षा अवश्य दें। जैन लोग प्रायः नशा व मांसाहार से मुक्त रहते हैं। हिंदू लोगों में भी आप एक नशामुक्ति व मांसाहार वर्जन का अभियान चलाएं तो पुनः हमारे भारत का विकास हो सकता है। तेरापंथ समाज के विशिष्ट श्रावक भी इस चर्चा-परिचर्चा में उपस्थित थे।