आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

डॉ. साध्वी गवेषणाश्रीजी के सान्निध्य 15वीं पुण्यतिथि का कार्यक्रम तेरापंथ सभा भवन, पल्लावरम् में आयोजित हुआ। साध्वीश्री ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का जीवन सत्यम, शिवम, सुंदरम से युक्त था। जैसे एक छोटी बूंद में अथाह सागर लहरा रहा है, एक बीज में विशाल वटवृक्ष की क्षमता छिपी हुई है, एक किरण में सहस्त्रांश– सूर्य का तेज छिपा हुआ है, उसी प्रकार आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का जीवन अंधेरी राहों में प्रकाश पथ है। उनका हर वाक्य एक प्रेरणा है, समस्या का समाधान है। साध्वी मयंकप्रभाजी ने कहा कि अज्ञ‌‌‍‌‍‌ से महाप्रज्ञ की यात्रा का महत्वपूर्ण सूत्र है– समर्पण और विनम्रता। आपका ध्येय था– अहिंसा ही मेरा धर्म है और समर्पण ही मेरी प्रार्थना है। साध्वी दक्षप्रभाजी ने आराध्य की अर्चना में सुमधुर गीतिका प्रस्तुति की। मंच का कुशल संचालन साध्वी मेरूप्रभा जी ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कन्या मंडल के मंगलाचरण ‘महाप्रज्ञ अष्टकम’ से हुई। तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष किरण गिरिया ने स्वागत भाषण दिया। प्रेक्षा प्रशिक्षिका प्रियंका कटारिया ने कविता के द्वारा, तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने गीतिका के द्वारा अपने भावों की अभिव्यक्ति की। तेरापंथ सभा के मंत्री दिलीप भंसाली ने आभार ज्ञापन किया।