आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस पर चारित्रात्माओं के उद्गार

मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में प्रेक्षा प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 15वें महाप्रयाण दिवस पर ‘श्रद्धार्पण समारोह’ का आयोजन द डिवनीटि पेवेलियन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा (पूर्वांचल-कोलकाता) ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा- आचार्यश्री महाप्रज्ञ जिनशासन के ज्योतिर्धर पुरुष थे। वे न्याय के राधाकृष्ण, ध्यान के कोलम्बस, आचार्यश्री तुलसी के विचारों के भाष्यकार व आधुनिक युग के विवेकानंद थे। वे प्रकृति से सहज, सरल, विनम्र स्वभाव वाले थे। उनका जीवन बहुआयामी था। उन्होंने प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान, आगम संपादन अहिंसा यात्रा आदि महनीय अवदान देकर दुनिया पर अपूर्व उपकार किया। उन्होंने देश में साम्प्रदायिक सद्‌भाव, सौहार्द्र, शांति स्थापना हेतु भगीरथ प्रयत्न किया। उन्होंने राजस्थान के सरदारशहर में वैशाख कृष्णा एकादशी के दिन मृत्यु पर प्रवचन कर उसी दिन महाप्रयाण कर दिया। वे भले ही सदेह आज हमारे मध्य नहीं है परंतु उनके विचार साहित्य रूप में आज भी हमारे बीच उपलब्ध है। मुनि परमानंद जी ने कहा- आचार्यश्री महाप्रज्ञ का व्यक्तित्व व्योम की तरह व्यापक था। वे ज्ञान के हिमालय थे। मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल पूर्वांचल ने भावपूर्ण सुमधुर गीत से मंगलाचरण प्रस्तुत किया। अणुव्रत समिति कोलकाता के मंत्री नवीन दुगड़ ने चुनाव शुद्धि अभियान की जानकारी दी। आभार ज्ञापन सभा मंत्री बालचंद दुगड़ व संचालन मुनि परमानंद ने किया।